इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश चीनी निगम की करीब 33 मिलों के निजीकरण पर रोक की अवधि 20 अक्टूबर को अगली सुनवाई तक बढ़ा दी है।
महाराजगंज जिले के राजीव कुमार मिश्रा ने सूबे की चीनी मिलों के निजीकरण के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की थी। राज्य सरकार के वकील की दलील पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विनीत सरन की खंडपीठ ने सुनवाई को 20 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
याचिका में कहा गया है कि चीनी मिलों को बेचने का उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला अनेक केंद्र और राज्य कानूनों के खिलाफ है। चीनी मिलों के इक्विटी शेयर की बिक्री के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 29 सितंबर को जो अध्यादेश जारी किया गया था, उसको चुनौती देते हुए मिश्रा ने आज संशोधित याचिका दाखिल की।
उन्होंने दावा किया कि अवैध बिक्री को वैध बनाने के लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि चीनी मिलों के निजीकरण से उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती और वहां के किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
इससे पहले 12 सितंबर को हुई सुनवाई में न्यायालय ने प्रतिवादियों की सूची में से मुख्यमंत्री मायावती का नाम हटा दिया था। राज्य सरकार सूबे की चीनी मिलों के निजीकरण की इच्छुक है ताकि परिचालन में कुशलता लाई जाए। चीनी मिलों के निजीकरण के लिए गैमन इंडिया, यूफ्लेक्स और चङ्ढा समूह ने वित्तीय बोली के लिए प्रस्ताव दिया था। ये बोलियां 30 सितंबर को खोली जानी थीं।