महाराष्ट्र सरकार ने बांद्रा-वर्ली सी-लिंक को 3.6 किलोमीटर तक और बढ़ाकर इसे हाजी अली तक करने का फैसला किया है।
राज्य के लोक निर्माण मंत्री और महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमएसआरडीसी) के चेयरमैन अनिल देशमुख ने यह जानकारी दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि 5.8 किलोमीटर लंबा बांद्रा-वर्ली सी-लिंक अगले साल जनवरी तक चालू हो जाएगा।
इस प्रोजेक्ट का जायजा लेने पहुंचे पत्रकारों से बातचीत करते हुए देशमुख ने यह जानकारी दी। उनके मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के लिए बोली की प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी और इस साल के अंत तक एक्सटेंशन प्रोजेक्ट के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिया जाएगा।
एक्सटेंशन प्रोजेक्ट बनाओ चलाओ और ट्रांसफर करो (बीओओटी) के तहत काम करेगा और इसके लिए बोली में सफल होने वाली कंपनी को एमएसआरडीसी से सी-लिंक प्रोजेक्ट को खरीदना पड़ेगा। बोली में सफल होने वाली कंपनी को अगले 30 साल तक दोनों सी लिंकों पर टोल वसूलने का अधिकार प्राप्त होगा। एमएसआरडीसी द्वारा इस प्रोजेक्ट पर 1,640 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है।
मंत्री ने बताया कि इस बाबत करीब 78 फीसदी काम पूरा हो चुका है और अगर मॉनसून के दौरान काम थोड़ा धीमा भी होता है, तो भी अगले साल जनवरी तक सी-लिंक को लोगों के लिए खोला जाना मुमकिन हो सकेगा। इसके बन जाने से बांद्रा और वर्ली का सफर तय करने में 60 से 75 मिनट के बजाय महज 7 मिनट लगेंगे। मौजूदा समय में माहिम क्रीम पर बने पुल से रोजाना 1.40 लाख गाड़ियां गुजरती हैं।
फिलहाल मुंबई शहर को उपनगरीय इलाकों से जोड़ने का यह एकमात्र रास्ता है। सी-लिंक का उद्धाटन हो जाने के बाद माहिम क्रीक से 80 फीसदी ट्रैफिक का बोझ कम हो जाएगा। हालांकि गाड़ी मालिकों को 30 साल तक टोल टैक्स का खर्च वहन करना होगा।
गौरतलब है कि बांद्रा-वर्ली सी-लिंक को 2004 में ही चालू हो जाना था, लेकिन पर्यावरण संबंधी चिंताओं और मछुआरा समुदाय की आपित्तयों के मद्देनजर इसमें देरी हो गई। इन आपत्तियों को देखते हुए एमएसआरडीसी ने सुप्रीम कोर्ट ने सी-लिंक प्रोजेक्ट में जरूरी फेरबदल का आश्वासन दिया, जिसके बाद इस पर काम शुरू हो सका।