पश्चिम बंगाल सरकार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) जैसे विकासशील संस्थानों के विकास के लिए निजी साझेदारों के साथ गठजोड़ की जुगत में है।
सरकार इस गठजोड़ के जरिए टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए कुशल कारीगरों को तैयार करना चाहती है। राज्य के लघु उद्योग और कपड़ा मंत्री मानब मुखर्जी ने बताया कि इस योजना को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार जादवपुर विश्वविद्यालय और बंगाल इंजीनियरिंग एंड साइंस यूनिवर्सिटी (बीईएसयू) के साथ बातचीत कर रही है।
हालांकि इस बाबत बातचीत अभी शुरुआती स्तर पर है। सूत्रों के मुताबिक बंगाल सरकार ने 2012 तक 50,000 युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में जरूरत आधारित प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार राजरहाट नामक स्थान पर एक एकड़ क्षेत्र में टेक्सटाइल के लिए एक विशेष निर्यात केन्द्र स्थापित करने की योजना भी बना रही है।
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के लिए टेक्सटाइल कमीश्नर (कपड़ा आयुक्त) का कार्यालय एक केंद्रीय एजेंसी के रूप में कार्य करेगी। इसके लिए हॉउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (हिडको) से पहले ही भूमि हासिल किया जा चुका है। राज्य के कपड़ा आयुक्त मनोज पंत ने बताया कि उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए खरीदार और विक्रेता के एक सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए एक खास क्षेत्र का प्रबंध भी किया जा चुका है।
पंत ने यह भी बताया कि इस परियोजना का ब्लूप्रिंट प्रक्रियाधीन है। फिलहाल अभी फंड विकल्पों का निपटारा करना बाकी है। पीडेक्ससील के अध्यक्ष एम. एस. माथिवानन ने बताया, ‘पावरलूम डेवलपमेंट एंड एक्सपोर्ट प्रोमोशन कांसिल (पीडेक्ससील) जल्द ही कोलकाता में क्षेत्रीय कार्यालय खोलने वाले हैं। इस दिशा में पीडेक्ससील राज्य सरकार के साथ काम करने के लिए बेहद इच्छुक हैं।’
पीडेक्ससीएल के उपाध्यक्ष एस एन गुप्ता ने बताया कि फिलहाल उनके साथ 10-15 सदस्य जुड़े हुए हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले एक महीने में उनके सदस्यों की संख्या 100 के आसपास पहुंच जाएगी। उल्लेखनीय है कि कपड़ा उद्योग देश के औद्योगिक उत्पादन में करीब 14 फीसदी का योगदान करता है और निर्यात में अहम हिस्सेदारी रखता है।