एक समय खादी की शान ही अलग थी। हालांकि इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया जब खादी आम आदमी से दूर होती चली गई।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने एक बार फिर खादी को उसकी खोई ही शान लौटने की तैयारी की है। इसके तहत प्रत्येक राज्य की राजधानी में ‘खादी प्लॉजा’ खोलने का फैसला किया है।
केवीआईसी के मुख्य कार्याधिकारी जे एस मिश्रा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘ये आधुनिक दुकानें होंगी जहां उपभोक्ताओं को किसी बड़े मॉल में शॉपिंग करने का मजा मिलेगा। हम इन स्टोर्स में ग्राहकों को खादी के विश्वस्तरीय सिलेसिलाए कपड़े के अलावा हर्बल और जैविक खाद्य वस्तुएं मुहैया कराएंगे। इन वस्तुओं में गांवों में चलने वाले उद्योगों की विशेषताएं भरी होंगी।’
आयोग ने वित्त वर्ष 2011-12 के अंत तक खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री और उत्पादन को बढ़ाकर दोगुना करने और रोजगार के करीब 46 लाख नए मौके तैयार करने का लक्ष्य तय किया है। इसके साथ ही खादी और ग्रामोद्योग के जरिए रोजगार पाने वालों की संख्या 99 लाख से बढ़कर 145 लाख हो जाएगी। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खादी प्लॉजा जैसी पहल की शुरुआत की जा रही है।
उन्होंने बताया कि हमने छह माह पहले केन्द्र सरकार के पास एक 34 करोड़ रुपये की परियोजना दाखिल की थी। इस दौरान खादी प्लॉज के मुद्दे पर चर्चा की गई। सरकार ने भविष्य की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रस्ताव को एशियाई विकास बैंक के पास भेजा है।
प्राइसवाटर हाउसकूपर्स परियोजना के सलाहकार का काम कर रहा है और आयोग को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक परियोजना रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि ‘हमने सभी राज्य सरकारों को प्रस्ताव भेज दिया है और अब मार्केटिंग और वित्तीय सहायता के लिए निजी कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। हमारी इच्छा है कि उद्यमी प्रशासन का हिस्सा बने और परियोजना में उनकी सक्रिय हिस्सेदारी हो।’
बीते साल खादी और ग्रामोद्योग का उत्पादन क्रमश: 530 करोड़ रुपये और 15,530 करोड़ रुपये था। इस दौरान कुल 18,405 करोड़ रुपये का मूल्यवर्धित किया गया। आयोग को उम्मीद है कि अगले चार वर्षो के दौरान यह आंकड़ा खादी के लिए बढ़कर 1,000 करोड़ रुपये, ग्रामोद्योग के लिए 29,000 करोड़ रुपये और कुल मूल्यवर्धन करीब 30,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा। उन्होंने बताया कि आयोग खादी और ग्रामोद्योग की स्थापना के लिए प्रशिक्षिण के अलावा आसान शर्तो पर कर्ज भी मुहैया करा रही है।