मध्य प्रदेश में कारोबारी केवल मंदी से ही परेशान नहीं हैं बल्कि लालफीताशाही भी उनकी राह में रोड़े अटका रही है।
दरअसल, मुंबई की डॉलेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सूबे में तीन जगहों पर 450 करोड़ रुपये के निवेश से एथेनॉल प्लांट लगाने की योजना है जिसमें अफसरशाही की वजह से लेटलतीफी हो रही है। कंपनी ने राज्य सरकार के साथ 2007 में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
और राज्य सरकार की उच्चस्तरीय निवेश समिति और प्रोजेक्ट क्लियरेंस एंड इंप्लीमेंटेशन बोर्ड (पीसीआईबी) ने इस प्रोजेक्ट को सिद्धांतत: मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन अभी तक इन दोनों एजेंसियों ने संबंधित विभागों के सामने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया है।
कंपनी से जुड़े सूत्रों का कहना है, ‘कंपनी के प्रस्तावित तीन एथेनॉल संयंत्रों के लिए जमीन का बंदोबस्त करने में सरकारी अधिकारी बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
कंपनी ने 2007 में ही नरसिंहपुर जिला प्रशासन के समक्ष जमीन आवंटन के लिए आवेदन किया था इसी तरह का आवेदन झाबुआ जिला प्रशासन के समक्ष किया गया था लेकिन वहां से भी अभी किसी तरह का रेस्पाँस नहीं मिला है।’
गौरतलब है कि कंपनी नरसिंहपुर जिले के तेंदुखेड़ा, झाबुआ और सागर जिले के रहेली में संयंत्र लगाना चाहती है। कंपनी से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि इन परियोजनाओं में हो रही देरी की वजह से अब फाइनैंसर भी हाथ खड़े करने लगे हैं और मंदी की वजह से भी माहौल प्रभावित हो रहा है।
डॉलेक्स की योजना 2,500 टन प्रतिदिन की पेराई क्षमता वाले तीन संयंत्र लगाने की है। ये तीनों संयंत्र एकदम नई तकनीक पर काम करेंगे। इसके अलावा यह राज्य के बिजली बोर्ड को 39 मेगावॉट बिजली भी देंगे।
निवेश पर बनी उच्चस्तरीय समिति के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘कंपनी को सिद्धांतत: जमीन हासिल करने का अधिकार मिल गया है। लेकिन अभी राजस्व महकमे में बड़े फेरबदल होने हैं। और जो नये उद्योग मंत्री बने हैं वह जल्द ही प्रमुख सचिव और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर इस मामले पर बात करने वाले हैं।’
इसके अलावा कंपनी ने मुख्यमंत्री को भी एक पत्र लिखा है जिसमें झाबुआ परियोजना में तेजी लाने की गुजारिश की गई है। कंपनी ने जैट्रोफा की खेती के लिए भी राज्य सरकार के साथ एक सहमति पत्र पर दस्तखत किए हैं।
इसी समूह की कंपनी डेजी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड की धार जिले में प्रस्तावित परियोजना भी अधर में अटकी पड़ी है।