भारतीय वास्तुशास्त्र से अब छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या को निबटाया जाएगा। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में टाटा और एस्सार कंपनियां स्टील प्लांट लगा रही है।
वास्तुशास्त्र के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन के अनुसार बताया है कि बस्तर में लगनी वाली इन बड़ी औद्योगिक इकाइयों से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर नक्सल को कम कि या जा सकेगा।
वास्तु विशेषज्ञ देवनारायण शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वास्तुशास्त्र के हिसाब से यह दुनिया पांच तत्वों से मिलकर बनी है। ये पांच तत्व पंचभूत नाम से जाने जाते है। इनमें भूमि, जल,वायु, अग्नि और गगन शमिल है। खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ के दक्षिणी क्षेत्र बस्तर में नक्सलियों द्वारा प्रयोग होने वाला गोला-बारुद अग्नि के रुप में प्रयोग किये जा रहे है, और यह अग्नि ही इन क्षेत्रों में हिंसा और अंसतोष का कारण है।
घने जंगलों से भरे बस्तर में अग्नि की यह स्थिति प्रकृ ति द्वारा इस क्षेत्र में संतुलन को बनाए रखने के लिए तय की गई है। इन क्षेत्रों में बड़ी औद्योगिक इकाइयों के लगने से भारी मात्रा में आग और धुंए की उत्पति होगी। यह आग और धुआं नक्सलियों द्वारा प्रयोग किये जा रहें गोला- बारुद का विकल्प बन जायेगी। इस तरह से बस्तर में नक्सल समस्या को कम किया जा सकेगा और प्रदेश में सुख व शांति स्थापित की जा सकेगी।
बस्तर के ही वास्तु विशेषज्ञ नागेश्वर राव का कहना है कि इस मुद्दे को पहले किसी ने वास्तु को ध्यान में रखते हुए नहीं पढ़ा है। भारतीय वैदिक विज्ञान के माध्यम से इस क्षेत्र के लोगों के मध्य सुख और शांति को लाया जा सकता है। वर्तमान में दो बड़ी औद्योगिक कंपनियां इस क्षेत्र में अपनी इकाइयों को लगाने की योजना बना रही है।
टाटा की स्टील बस्तर के लोहनडीगुडा ब्लॉक में 50 लाख टन स्टील प्रतिवर्ष उत्पादन करने वाले प्लांट को लगाने की योजना है। इसके अलावा एस्सार स्टील ने दंतेवाड़ा जिले के भांसी गांव के पास 32 लाख टन स्टील प्रतिवर्ष उत्पादन करने वाले प्लांट को लगाने की योजना बनाई है।
इस योजना के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य टाटा स्टील द्वारा शुरु किया जा चुका है। एस्सार जल्द ही जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरु करने वाली है। उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वास्तुशास्त्र के अपनी नियम होते है जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।