कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय कृषि बैंक (नाबार्ड) ने उत्तर प्रदेश सरकार को केन्द्रीय पैकेज की पहली किश्त के तौर पर 340.85 करोड़ रुपये का चेक सौंपा है।
यह मदद राज्य में प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाइटी और जिला सहकारी बैंक (डीसीबी) के पुनरोद्धार पैकेज के तौर पर दी गई है। यह सहायता वैद्यनाथन समिति की सिफारिशों के मुताबिक है।राज्य के सहकारिता मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बात की घोषणा की। उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि पूर्ववर्ती मुलायम सिंह सरकार की उपेक्षा के कारण राज्य में सहकारी संस्थान तंगहाली के कगार पर पहुंच गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पिछले मंत्री और उनके परिवारों ने अपने निजी स्वार्थो के लिए इन सहकारी बैंकों और सोसाइटी का गलत इस्तेमाल किया।’ उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान सहकारी निकायों के गलत इस्तेमाल के लिए करीब 100 से अधिक प्राथमिक जांच रिर्पोट दर्ज कराई गई है। उत्तर प्रदेश में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुखबीर सिंह ने केन्द्रीय सहायता का चेक मौर्या को सौंपा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 3,710 प्राथमिक कृषि सोसाइटी (पीएसी) के पुनरोद्धार के लिए 454.46 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज दिया था। इस पैकेज को केवल ऐसे पीएसी ही हासिल कर सकते थे जो किसानों को बांट गए कर्ज में से 50 प्रतिशत राशि की वसूल कर लें। पहले चरण में उत्तर प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी 44.12 करोड़ रुपये होगी जबकि केन्द्र सरकार 340 करोड़ रुपये का अंशदान करेगी।
सहकारिता मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार ने वित्तीय सहायता के 75 प्रतिशत हिस्से के तौर पर 340.85 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। मौर्य ने बताया कि डीसीबी और पीएसीएस की वित्तीय हालात काफी बुरी है। राज्य सरकार द्वारा सहकारी संस्थाओं के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति ने 4,139 पीएसीएस के लिए 825 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की सिफारिश की थी।
इस राशि में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 551.03 करोड़ रुपये होगी जबकि उत्तर प्रदेश सरकार 54.66 करोड़ रुपये देगी। बाकी 219.31 करोड़ रुपये इन सहकारी सोसाइटियों द्वारा खुद जुटाए जाएंगे।मौर्या ने बताया कि राज्य में जून 2007 से फरवरी 2008 के दौरान कुल 7,479 पीएसीएस काम कर रहे थे। इनमें से 7,028 को ऑडिट के लिए भेजा गया और सिर्फ 6,329 का ऑडिट पूरा हो सका।
राज्य में कुल 978 पीएसी इस समय बंद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने केन्द्र सरकार से शेष राशि को भी जल्द से जल्द देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन सहकारी सोसाइटी के पुनरोद्धार के लिए वर्ष 2008-09 के दौरान अभी तक 150 करोड़ रुपये का आवंटन कर चुकी है।
वैद्यनाथन समिति द्वारा दीर् गई सिफारिशों के तहत सभी पीएसी, डीसीबी और उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक को अपनी गैस निष्पादित आस्तियों को कवर करने और 31 मार्च 2004 तक घाटे को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता दी जानी है। उत्तर प्रदेश में इस समय कुल 50 जिला सहकारी बैंक है। इनमें से करीब 30 बैंक भारी घाटे में चल रहे हैं।