देश की सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक और निर्यातक राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित स्टील प्लांट के निर्माण कार्य को इस महीने के अंत तक शुरू करेगी।
इस स्टील प्लांट को बस्तर जिले में नगरनार के नजदीक बनाया जाएगा। राज्य के मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘स्टील प्लांट के निर्माण कार्य को लेकर कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो दिन पहले ही विचार विमर्श किया गया है।
उन्होंने आश्वस्त किया है कि प्लांट के निर्माण कार्य को इस महीने के अंत तक शुरू कर दिया जाएगा।’ कंपनी प्लांट को प्रति वर्ष 30 लाख टन क्षमता के साथ को शुरू करना चाहती है। हालांकि, सिंह ने कहा, ‘हमने कंपनी से कहा है कि वह 10 लाख टन क्षमता के साथ ही संयंत्र को शुरू करे और बाद में इसका विस्तार करें ताकि इस परियोजना को जल्द से जल्द मूर्त रूप दिया जा सके।’
उल्लेखनीय है कि 1990 के दशक के शुरू में इस परियोजना की रूपरेखा बनी थी लेकिन कुछ विवादों के कारण इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका। विवाद की शुरूआत कंपनी और सरकार के बीच संयंत्र के प्रकार को लेकर हुई। कंपनी ने नगरनार में स्टील प्लांट लगाने की जगह स्पंज आयरन इकाई की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था जबकि राज्य सरकार स्टील संयंत्र लगाने के लिए पहले ही 403 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर चुकी थी।
स्टील संयंत्र के प्रस्ताव पर रोक लगाने के पक्ष में तर्क देते हुए कंपनी ने उल्लेख किया कि रोमेल्ट तकनीक की लागत मूल्य में वृध्दि की वजह से ऐसा किया गया है। राज्य सरकार ने कंपनी के इस फैसले का कड़ा विरोध किया। रमन सिंह ने कहा, ‘जिस जमीन का अधिग्रहण स्टील संयंत्र लगाने के नाम पर किया गया है वहां स्पंज आयरन इकाई के प्रस्ताव को मंजूरी देने का सवाल ही नहीं पैदा होता है और कंपनी उस परियोजना को पूरा करने के लिए बाध्य है।’ उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क के काफी भंडार है और इस्पात संयंत्र की स्थापना से राज्य सरकार को अयस्कों से सही अर्थो में फायदा मिल सकेगा।