लखनऊ के बंद पड़े सिटी कोऑपरेटिव बैंक के 25,000 खाता धारकों में आशा की एक नयी किरण फिर से जाग उठी है।
उत्तर प्देश की सरकार के प्यासों के चलते खाताधारकों को जल्द ही अपना डूबा पैसा वापस मिलने की आशा है। प्देश सरकार ने भारतीय रिर्जव बैंक से इस सिलसिले में बातचीत की है जिसके सकारात्मक परिणाम निकलने की आशा है।
प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री स्वामी प्साद मौर्या के मुताबिक सही पैरवी के बाद रिजर्व बैंक ने डिपाजिट इंश्योरेस क्ेडिट गॉरंटी कॉरपोरेशन को सिटी बैंक के खाताधारकों को एक-एक लाख रुपये के निर्देश जारी किए हैं। मौर्या के अनुसार जल्दी ही सिटी बैंक के खाताधारकों को अपने पैसे वापस मिलेंगे।
सरकार के इस कदम से 10,000 के लगभग खाताधारकों को लाभ मिलेगा। भारतीय रिर्जव बैंक के कार्यपालक निदेशक के साथ नगरीय सहकारी बैंकों के कामकाज के कुशल संचालन पर हुए एक करार के अवसर पर सहकारिता मंत्री ने बताया कि अब राज्य सरकार और भारतीय रिर्जव बैंक सिलकर एक टॉस्क फोर्स के जरिए नगरीय सहकारी बैंकों के कामकाज पर निगाह रखेंगे।
सभी नगरीय सहकारी बैंकों का ऑडिट चाडर्टड एकाऊटेंट के जरिए किया जाएगा। करार पर प्मुख सचिव सहकारिता प्दीप शुक्ला और भारतीय रिर्जव बैंक के कार्यपालक निदेशक वी एस दास ने हस्ताक्षर किए। अब एक टॉस्क फोर्स के जरिए नगरीय सहकारी बैंकों की मॉनिटरिंग की जाएगी। इस समय प्देश में कुल 70 नगरीय सहकारी बैंक हेैं जिनमे एक शिडयूल्ड वाणिज्यक बैंक है।
सिटी कोऑपरेटिव बैंक के बारे में मंत्री ने बताया कि इस बैंक के एक-एक लाख तक की दावा धनराशि के खाताधारकों को लिए रिर्जव बैंक 20 करोड़ रुपए जारी करेगा। सरकार के इस कदम को राहत पैकेज मानने से इंकार करते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्देश की सरकार की प्ाथमिकता मे यह पहले से ही था।
मौर्या के मुताबिक सरकार के इस कदम से जनता का विश्वास नगरीय सहकारी बैकों में बढ़ेगा।गौरतलब है कि प्देश की राजधानी के एक महत्वपूर्ण बैंक सिटी कोऑपरेटिव ने 24 अप्ैल 1995 को कारोबार की शुरुआत की थी। दिनांक 22 मार्च, 2001 को वित्तीय अनियमितता प्काश मे आने के बाद भारतीय रिर्जव बैंक ने किसी भी प्कार के लेनदेन पर रोक लगा दी थी। बैंक ने अक्टूबर 2001 से लेकर जनवरी 2004 तक भारतीय रिर्जव बैंक के पास पुनरोद्धार या विलय के कई प्स्ताव भेजे पर रिर्जव बैंक ने सभी को निरस्त करते हुए 25 अक्टूबर 2004 को बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया।
इतना ही नही 6 अक्टूबर, 2006 को बैंक में परिसमापक की नियुक्ति कर दी गयी थी। तब से खाताधारक अपनी डूबी रकम निकलवाने को लेकर परेशान थे। सहकारिता मंत्री ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार के इस कदम से खाताधारकों का विश्वास नगरीय सहकारी बैंकों मे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि टॉस्क फोर्स का गठन भी जल्दी ही कर लिया जाएगा।