केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि कोविड-19 स्थानिक बीमारी बनने के कगार पर है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिक प्रत्येक नए स्वरूप को लेकर कड़ी नजर रख रहे हैं तथा सरकार हाई अलर्ट जारी रखेगी। उन्होंने रेखांकित किया कि कोरोनावायरस जीवित रहने में कामयाब रहा है और यह बरकरार रहने जा रहा है। मंत्री ने कहा कि दुनिया में महामारी के तीन साल से अधिक समय के बाद अब स्थिति स्थिर है, लेकिन घातक साबित हो सकने वाले किसी भी स्वरूप से बचाव के लिए सभी आवश्यक उपाय बरकरार रखे जाएंगे।
घातक कोरोनावायरस का पहली बार चीन में 2019 के अंत में पता चला था, जबकि भारत में पहला मामला जनवरी 2020 के अंत में दर्ज किया गया था। तब से, भारत में कोविड-19 के लगभग 4.5 करोड़ मामले सामने आए हैं और कई लहरों के दौरान पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, हाल के महीनों में मामलों की संख्या में काफी कमी आई है और उपचाराधीन मामलों की संख्या अब लगभग 1,800 रह गई है, जिसमें ठीक होने की कुल दर लगभग 99 प्रतिशत और मृत्यु दर लगभग एक प्रतिशत है।
इसके साथ ही, भारत में कोविड रोधी टीकों की 220 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं और भारत की लगभग 90 प्रतिशत पात्र आबादी का पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है। मंत्री ने कहा, ‘कोविड स्थानिक चरण में प्रवेश करने के कगार पर है, लेकिन आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) में वैज्ञानिकों की हमारी टीम कोविड के प्रत्येक स्वरूप पर कड़ी नजर रख रही है। अब तक, कोविड के 224 से अधिक स्वरूप देश में देखे गए हैं, प्रत्येक स्वरूप को लेकर निरंतर जीनोम अनुक्रमण किया जा रहा है।’
मंत्री ने कहा कि जब भी कोई नया स्वरूप मिलता है, उसे अलग किया जाता है और फिर टीके की प्रभावशीलता देखने के लिए परीक्षण किया जाता है तथा यह भी मापा जाता है कि यह कितना घातक है। उन्होंने कहा, ‘यह सब एक सतत प्रक्रिया है और हम इस पर बारीकी से नजर रखते हैं, ताकि हम भविष्य में घातक साबित हो सकने वाले किसी भी स्वरूप से निपटने के लिए तैयार रहें। दुनिया भर में स्थिति अभी स्थिर है और भविष्य को ध्यान में रखते हुए हम सतर्क हैं। लेकिन मैं कहूंगा कि यह एक वायरस है और यह वायरस कभी खत्म नहीं होने वाला, क्योंकि यह जीवित रहने में कामयाब रहा है।’
नकली दवाओं पर कठोर नीति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत नकली दवाओं के मामले में ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति का पालन करता है। उन्होंने कहा कि खांसी रोकने के लिए भारत निर्मित सीरप के कारण कथित मौतों के बारे में कुछ हलकों में चिंता व्यक्त किए जाने के बाद 71 कंपनियों को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया गया है और उनमें से 18 को बंद करने को कहा गया है।
मंत्री ने यह भी कहा कि देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए लगातार व्यापक विश्लेषण किया जाता है, और सरकार तथा नियामक हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहते हैं कि नकली दवाओं के कारण किसी की मौत न हो। उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया की फार्मेसी हैं और हम सभी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम ‘दुनिया की गुणवत्ता वाली फार्मेसी’ हैं।’
फरवरी में, तमिलनाडु आधारित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने आंखों की अपनी दवाई की पूरी खेप को वापस ले लिया था। इससे पहले, आरोप लगा था कि पिछले साल खांसी रोकने के लिए भारत में निर्मित सीरप से गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में क्रमश: 66 और 18 बच्चों की मौत हो गई।
भारत ने 2022-23 में 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर के कफ सीरप का निर्यात किया, जबकि 2021-22 में यह निर्यात 17 अरब अमेरिकी डॉलर का था। कुल मिलाकर, भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है, जो विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग का 50 प्रतिशत से अधिक, अमेरिका में लगभग 40 प्रतिशत जेनेरिक मांग और ब्रिटेन में लगभग 25 प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति करता है।
मांडविया ने कहा, ‘जब भी भारतीय दवाओं के बारे में कुछ सवाल उठाए जाते हैं तो हमें तथ्यों में शामिल होने की जरूरत होती है। उदाहरण स्वरूप गाम्बिया में, यह कहा गया था कि 49 बच्चों की मौत हुई है। डब्ल्यूएचओ में किसी ने यह कहा था और हमने उन्हें लिखा था कि तथ्य क्या हैं? कोई भी हमारे पास तथ्यों के साथ नहीं आया।’