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फीता तो तब कटे जब खत्म हो लालफीताशाही

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 PM IST

मुंबई स्थित डॉलेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कहा है कि राज्य के अलग-अलग स्थानों में 450 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित होने वाले तीन एथेनॉल संयंत्रों (चीनी संयंत्र के माध्यम से) में देरी की मुख्य वजह लालफीताशाही है।


कंपनी के अध्यक्ष मोहम्मद खान ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘राज्य में तीन जगहों- नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा और सागर जिले के झाबुआ एवं रेहली में प्रस्तावित संयंत्रों के लिए जमीन आवंटित करने में वरिष्ठ अधिकारी तत्परता नहीं दिखा रहे हैं।

हम लोगों ने 22 जून, 2007 को नरसिंहपुर जिले के कलेक्टर को जमीन आवंटन के लिए पेशकश की, जिसे बाद में राजस्व विभाग के मुख्य सचिव के पास भेजा गया। लेकिन विभाग में फाइल अभी भी लंबित है। वहां के अधिकारियों ने  अभी तक आवंटन की तारीख तय नहीं की है।’

मालूम हो कि 2500 टन प्रतिदिन पेराई क्षमता वाले ये संयंत्र नई तकनीक पर आधारित होंगे और साल में 11 महीने चालू रहेगी। इसके अतिरिक्त ये संयंत्र राज्य बिजली बोर्ड के साथ 39 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का साझा करेंगी। राज्य के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कंपनी ने कहा कि झाबुआ जिले में जमीन आवंटन के लिए कंपनी द्वारा सारी औपचारिकताएं पूरी की कर ली गई हैं, ‘लेकिन झाबुआ के कलेक्टर लंबे समय से अनावश्यक फाइल को लंबित किए हुए है।’ 

खान ने बताया कि उनकी एक अन्य कंपनी डेजी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने धार जिले में जटरोफा की खेती के लिए भी एमओयू पर दस्तखत किए हैं। उन्होंने बताया, ‘यह मामला भी प्रोजेक्ट क्लियरेंस एंड इंप्लिमेंटेशन बोर्ड (पीसीआईबी) की बैठक के लिए मध्य प्रदेश एग्रो और व्यापार एवं सुविधा निगम (ट्रिफेक) के पास लंबित है।’

सागर जिले के रेहली में कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले चीनी संयंत्र का एक अन्य मामला भी खान ने बताया, ‘हमने इस परियोजना के लिए सुविधाएं पाने के लिए आवेदन किया है लेकिन व्यापार और सुविधा निगम (ट्रिफेक) ने इस बाबत अभी तक कोई भी पहल नहीं की है। विभिन्न परियोजनाओं में देरी होने की वजह से हम लोगों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है।’

First Published - August 7, 2008 | 9:18 PM IST

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