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मप्र: बिजली की किल्लत का गहराता डर

Last Updated- December 08, 2022 | 1:05 AM IST

सदर्न ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) और वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के पास पर्याप्त कोयले का भंडार न होने की वजह से मध्य प्रदेश को बिजली की भयंकर किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।


इन दोनों के बिजली तापघरों के स्टॉक में जो कोयला बचा है वह सिर्फ एक सप्ताह तक ही चल सकता है। ऊर्जा विभाग बिजली की किल्लत से निजात पाने के लिए नेशनल ग्रिड से 8-10 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने की योजना बना रही है।

मध्य प्रदेश के दो प्रमुख बिजली स्टेशनों संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन, बीरसिंहपुर (1340 मेगावाट) और सरनी थर्मल पावर स्टेशन (1142 मेगावाट) को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की मात्रा काफी कम हो गई है। इस वजह से मध्य प्रदेश में व्यस्ततम घंटों में भी मात्र 1000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति ही हो पा रही है।

बीरसिंहपुर स्टेशन मात्र 900 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है, जबकि सरनी स्टेशन से महज 700 मेगावाट बिजली उत्पादित की जा रही है। ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘दोनों कोयला कंपनियों द्वारा मात्र 4-5 रैक्स कोयले की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है, जबकि मांग 6-7 रैक्स प्रतिदिन की है।

कोयले का स्टॉक काफी कम है और यह जल्दी खत्म हो रहा है। ऐसे में यदि कोयले का स्टॉक खत्म हो गया, तो राज्य का आधा से अधिक भाग अंधेरे में डूब जाएगा।’ सूत्रों के मुताबिक बीरसिंहपुर को 18000-19000 टन कोयले की जरूरत हर रोज होती है, जबकि उसे मात्र 15000 टन कोयले की आपूर्ति की जाती है। मात्र 75000 टन कोयला स्टॉक में है, लेकिन इसमें से 42000 टन कोयले का ही इस्तेमाल हो सकता है।

ऐसी स्थिति में यह स्टॉक मात्र दो दिनों तक चलने की संभावना है। इसी तरह सरनी थर्मल स्टेशन के पास भी 1.20 लाख टन कोयले का स्टॉक है, जो मुश्किल से 6-7 दिनों के लिए पर्याप्त है। ऊर्जा सचिव संजय बंदोपाध्याय ने कहा, ‘हम कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। इस बाबत कोयला मंत्रालय, एसईसीएल और डब्ल्यूसीएल के अधिकारियों से लगातार संपर्क स्थापित किया जा रहा है।’

राज्य व्यस्ततम घंटों की 500 मेगावाट बिजली की कमी को पूरा करने के लिए नेशनल ग्रिड से 5 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बिजली की खरीद करता है। कभी कभी कम बारिश की वजह से पनबिजली स्टेशनों का स्तर भी नीचे चला जाता है।

सूत्र ने कहा, ‘जब रिजर्वायर का स्तर 253 मीटर होता है, तो 1000 मेगावाट की क्षमता से 700 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। पिछले साल यह स्तर 258 मीटर था। पूर्ण रिजर्वायर का स्तर 262 मीटर का होता है।’

एसईसीएल और डब्ल्यूसीएल के अधिकारी इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं थे। हालांकि डब्ल्यूसीएल के एक वरिष्ठ  अधिकारी ने कहा कि राज्य की इकाइयों को कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है।

अंधेरे में बिजली

नेशनल ग्रिड से 8-10 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने की योजना
तापघरों के स्टॉक में सिर्फ एक सप्ताह तक चलने मात्र कोयला
व्यस्ततम घंटों में भी मात्र 1000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही

First Published - October 23, 2008 | 9:15 PM IST

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