दिल्ली में कोरोना काल से श्रमिकों को मिल रही तमाम आर्थिक मदद के कारण श्रमिक कार्ड बनवाने के लिए लाखों की संख्या में आवेदन आ रहे हैं। ऐसे में सरकार ने श्रमिक कार्ड बनवाने के दुरुपयोग को रोकने के लिए इन आवेदनों का आडिट करवाने का निर्णय लिया है। इस बीच, दिल्ली सरकार निर्माण श्रमिकों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर ऑन व्हील योजना की शुरुआत करने वाली है। इस योजना के तहत निर्माण स्थल पर ही निर्माण श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच की जाएगी। इस योजना का दिल्ली के 6 लाख से अधिक निर्माण श्रमिकों को लाभ मिलेगा। सरकार निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए मोबाइल क्रेच की भी शुरुआत करेगी। जिससे निर्माण स्थल पर श्रमिकों के बच्चों को डे-केयर की सुविधा मिलेगी।
दिल्ली निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की सोमवार को हुई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बोर्ड के पास श्रमिक कार्ड बनवाने के लिए 17 लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं।
दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया ने पात्र लोगों को ही इसका फायदा मिले ये सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा सोशल ऑडिट करवाने का निर्देश दिया। इसके लिए 2 सदस्यीय समिति बनाई जाएगी जो ऑडिट के लिए बोर्ड को अपने प्रस्ताव भेजेगी और उसके अनुसार ऑडिट करवाया जाएगा।
दिल्ली सरकार ने पिछले 1.5 साल में निर्माण श्रमिकों को 611 करोड़ रुपये से ज्यादा की आर्थिक मदद की है। कोरोना की पहली लहर के दौरान पंजीकृत 1.18 लाख निर्माण श्रमिकों को प्रति श्रमिक 10 हजार रुपये की सहायता राशि के हिसाब से कुल 118 करोड रूपये और दूसरी लहर में पंजीकृत 3.17 लाख श्रमिकों को 5—5 हजार रुपये के हिसाब से 158 करोड रुपये दिए। साथ ही सरकार द्वारा कोरोना पॉजिटिव होने वाले निर्माण श्रमिकों को भी आर्थिक मेडिकल सहायता के तहत 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई।
पिछले साल सर्दियों में प्रदूषण स्तर बढ़ने के कारण कुछ समय के लिए निर्माण कार्यों पर रोक लगने के दौरान 6.17 लाख निर्माण श्रमिकों के खाते में सरकार द्वारा 309 करोड़ रूपये की सहायता राशि प्रदान की गई। सरकार ने निर्माण श्रमिकों के 16 हजार बच्चों को दी 12.35 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप भी दी है। सरकार ने निर्माण श्रमिकों के लिए 17 कल्याणकारी योजनाएं शुरू की है। इनके तहत निर्माण श्रमिकों को घर निर्माण, मातृत्व लाभ, टूल खरीदने, श्रमिकों की अप्राकृतिक मृत्यु आदि पर आर्थिक मदद दी जाती है।