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सोनिया की रायबरेली में विकास बना पहेली

Last Updated- December 11, 2022 | 2:36 AM IST

सोनिया गांधी का नाम जिस शहर के साथ जुड़ा हो, उसमें कोई परदेसी तो चमचमाती सड़कों, बड़ी-बड़ी इमारतों और दुरुस्त बुनियादी ढांचे की ही कल्पना कर सकता है, लेकिन हकीकत उससे कोसों दूर है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया की लोकसभा सीट रायबरेली में 58 फीसदी जनता गरीबी की रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रही है, प्रति व्यक्ति आय उत्तर प्रदेश में औसतन प्रति व्यक्ति आय से भी कम है और स्वास्थ्य सुविधाएं खस्ताहाल हैं।
फिर  भी रायबरेली में नेहरू-गांधी परिवार का जादू लंबे अरसे से छाया है। इस परिवार के 13 सदस्य रायबरेली या अमेठी से चुनाव लड़ चुके हैं। 1984 में एक बार अमेठी में परिवार के सदस्यों के बीच ही घमासान हुआ था और मेनका गांधी पर राजीव गांधी भारी पड़े थे। लेकिन लाख टके का सवाल है कि इस परिवार से रायबरेली को मिलता क्या है?
पुराने समय से कांग्रेस से जुड़े राम आसरे कुशवाहा जवाब में दूसरा सवाल दाग देते हैं, ‘इतनी गर्मी में आप दिल्ली से यहां आ रहे हैं। देश विदेश का पूरा मीडिया यहां जमा है। अगर सोनिया यहां नहीं होती तो क्या आप कभी आते।’
दरअसल सोनिया ने अपनी अभिजात्य और अतिविशिष्ट पहचान के साथ स्थानीय लोगों के मन में अपना आभामंडल तैयार किया है, जिसे तोड़ पाना न तो भाजपा प्रत्याशी आर बी सिंह के वश की बात है और न ही बसपा प्रत्याशी आर एस कुशवाहा के वश की। इसी आभामंडल की वजह से लोग सोनिया के खिलाफ कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं हैं।
आप तर्क के सहारे साबित कर दीजिए कि रेल कोच फैक्ट्री से रायबरेली को कुछ नहीं मिलेगा और बाहर के पढ़े-लिखे लोग यहां नौकरी पा जाएंगे, तो हरियाली किसान संसार के प्रबंधक अवधेश कुमार दलील दते हैं, ‘रायबरेली की धरती से कुछ लोगों को रोजगार मिलता है तो यह हमारे लिए गर्व की बात है।’
कांग्रेस का दावा है कि गांधी परिवार से रायबरेली को काफी कुछ मिला है। पार्टी प्रभारी विजय शंकर अग्निहोत्री चार सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने और ओवरब्रिज बनाने का हवाला देते हैं। वह कहते हैं कि रायबरेली को 24 घंटे निर्बाध बिजली देने के लिए 3 हजार करोड़ रुपये के निवश से एनटीपीसी ऊंचाहार इकाई चालू हुई, मगर जिले में लोगों को अब भी 14 से 16 घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
लेकिन एक और पहलू है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रवेश परीक्षा में सर्वाधिक पिछड़े जिलों के छात्रों को अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। इस सूची में रायबरेली का नाम भी शामिल है। अगर सोनिया रायबरेली का नाम हटवा सकीं,  वाकई रायबरेली के लिए उपलब्धि होगी।
धीमा विकास!
कृषि ऋण माफी योजना का जिले के 1.2 लाख किसानों को फायदा और 112 करोड़ रुपये के कर्ज माफ हुए।
लंबी दूरी की छह नई रेलगाड़ियां मिलीं।
3000 करोड़ रुपये के निवेश से 1050 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना चालू। लाल गंज में रेलकोच फैक्ट्री निर्माणाधीन।
चार सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा।

First Published - April 25, 2009 | 1:14 PM IST

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