उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान (एचबीटीआई) को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
एचबीटीआई की बुनियादी ढ़ांचे में सुधार और स्वायत्तता के जरिए इसे आईआईटी के समकक्ष लाया जाएगा। उत्तर प्रदेश तेजी से विकास होते तकनीकी शिक्षा केन्द्र के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है। ऐसे में इस कॉलेज के विकास से इस मान्यता को और बढ़ावा मिलेगा।
एचबीटीआई के निदेशक एस के अवस्थी सहित अन्य वरिष्ठ प्रोफेसरों की एक समन्वय ने इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट राज्य शिक्षा मंत्री से समक्ष प्रस्तुत कर दी है। समिति ने कॉलेज को उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए 181 करोड़ रुपये की मांग की है। रिपोर्ट के मसौदे की परिकल्पना है कि संस्थान को दोबारा से बनाया जाएगा ताकि इसे आईआईटी के समकक्ष लाया जा सके।
इंजीनियरिंग कॉलेज को नया रूप देने में करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
ये 200 करोड़ रुपये अनावर्ती अनुदान और ‘एकमुश्त खर्च’ के तौर पर हासिल किए जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों को मानकीकृत शिक्षा प्रदान करने के लिए संस्थान प्रति माह 14 करोड़ रुपये का अपवर्ती खर्च भी करेगी। राज्य सरकार भी हर संभव वित्तीय सहायता प्रदान कर एचबीटीआई को आईआईटी के समकक्ष लाने के लिए इच्छुक दिख रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य तकनीकी शिक्षा मंत्रालय के प्रधान सचिव आलोक रंजन ने हाल ही में संस्थान के निदेशक को पत्र लिख कर कहा कि आईआईटी के तर्ज पर विकसित किए जाने वाले संस्थान के लिए तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट को जल्द से जल्द प्रस्तुत किया जाए।
अवस्थी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से हुई बातचीत में कहा, ‘प्रधान सचिव आलोक रंजन ने संस्थान की विस्तृत योजना और अनुमानित लागत के बारे में ब्योरा मांगा है। समूह द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक इस बाबत करीब 181 करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा।’