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राज्यसभा में विभिन्न दलों ने मध्यस्थता विधेयक का किया समर्थन, विश्वसनीयता पर दिया जोर

Last Updated- December 14, 2022 | 5:03 PM IST

राज्यसभा में विभिन्न दलों ने मध्यस्थता विधेयक का किया समर्थन, विश्वसनीयता पर दिया जोर
PTI / नयी दिल्ली  December 14, 2022

14 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस

केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को उच्च सदन में नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया। इस विधेयक के माध्यम से मध्यस्थता केंद्र का नाम नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र से बदलकर भारत अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र किया जाना है। यह विधेयक इसी साल अगस्त में लोकसभा से सर्वसम्मति से पारित हो चुका है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने इस केंद्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर के माध्यस्थतम केंद्र के रूप विकसित करने के लिए सरकार को उपाय भी सुझाए।

विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री रीजीजू ने कहा कि दिल्ली में दिल्ली उच्च न्यायालय के तहत पहले से ही दिल्ली माध्यस्थतम केंद्र है, इसलिए इस विधेयक के माध्यम से नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र अधिनियम 2019 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम अंतरराष्ट्रीय स्तर के मध्यस्थता केंद्र की बात करते हैं तब ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह देश में स्थित कोई केंद्र है। ऐसी स्थिति में नाम में बदलाव करने की पहल की गई। हमारा देश भी मध्यस्थता का संस्थागत केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है।’’

उन्होंने कहा कि भारत आज एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मध्यस्थता केंद्र को सशक्त करने की आवश्यकता है।

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के विवेक तनखा ने इस विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सिर्फ नाम बदलने से किसी केंद्र की विश्वनीयता नहीं बन जाती है जब तक कि इस मंच को निष्पक्ष और पेशेवर स्वरूप ना दिया जाए।

उन्होंने कहा कि माध्यस्थतम केंद्र बहुत ही खर्चीले होते हैं और उनकी फीस भी बहुत महंगी होती है।

तनखा ने कहा कि देश को एक विश्वसनीय माध्यस्तम केंद्र की आवश्यकता है और इसके लिए उसमें विशेषज्ञों को जोड़ना चाहिए और इन केंद्रों में नियुक्तियों को भी संस्थागत करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया के एक महत्वपूर्ण माध्यस्तम केंद्र के रूप में विकसित करने का यह सुनहरा अवसर है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार मोदी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भारत में बड़ी संख्या में पूंजी निवेश हो रहा है और ऐसे में व्यवसायिक विवादों के निपटारे के लिए लोग माध्यस्तम केंद्र का रूख करते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत के कई व्यावसायिक विवादों का निपटारा विदेशों में होता है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर में 150 से अधिक ऐसे मामले हैं।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई में एक माध्यस्तम केंद्र बनाए जाने और व्यावसायिक विवादों का निपटारा इस केंद्र में किए जाने की व्यवस्था करने के लिए सराहना की। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए ताकि लोगों को अपने विवादों के निपटारे के लिए सिंगापुर और पेरिस ना जाना पड़े।

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने भी विधेयक का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि सरकार विश्व बैंक के दबाव में जल्दबाजी में यह विधेयक लेकर आई है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद इससे संबंधित नियमों और नियामकों का वह तय नहीं कर सकी है।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के पी विल्सन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि जब यह विधेयक 2019 में लाया गया था तभी इसका नाम बदला जा सकता था। उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही में करोड़ों रूपये खर्च करते हैं और एक छोटी से गलती के कारण करदाताओं पर पैसों का बोझ पड़ेगा।

आम आदमी पार्टी के सुशल गुप्ता ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि भारत में अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़ रहा है इसलिए यह आवश्यक था। उन्होंने कहा कि इस केंद्र की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए अनुभवी और विश्वसनीय लोगों को इस केंद्र में बहाल किया जाना चाहिए।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र अधिनियम 2019 के माध्यम से नयी दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र स्थापित करने का उपबंध किया गया है। इसके तहत देश में संस्थानिक मध्यस्थता के लिये एक स्वतंत्र और स्वायत्त व्यवस्था सृजित करने का प्रस्ताव किया गया है।

अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (1) नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र को राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था घोषित करती है।

इसके अनुसार फिर भी, यह अनुभव किया गया है कि केंद्र एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था होने के बाद भी नगर केंद्रित होने का आभास देता है जबकि यह भारत को संस्थानिक मध्यस्थता एवं अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए।

ऐसे में केंद्र के नाम को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र से भारत अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम में परिवर्तन करना अनिवार्य समझा गया है जिससे इसकी पहचान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की हो और यह अपने वास्तविक उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करे।

जारी भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र अविनाश माधव

First Published - December 14, 2022 | 11:33 AM IST

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