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लुधियाना के कपड़ा उद्योग में मायूसी

Last Updated- December 11, 2022 | 6:26 PM IST

जब आप लुधियाना की चहल-पहल वाली शाहपुर रोड की संकरी गलियों से गुजरेंगे तो वे गलियां आपको ग्राहकों, विक्रेताओं और कारोबारियों से पटी मिलेंगी। भीड़भाड़ भरा यह बाजार देखने पर आपको लगेगा कि कपड़ों और परिधान का कारोबार ठीक चल रहा है और पता ही नहीं चलेगा कि यहां का कपड़ा उद्योग किस कदर दबाव से गुजर रहा है। आपूर्ति के मोर्चे पर बार-बार मिलते झटकों से यह बुरी तरह लड़खड़ा गया है। हालिया झटका इसे तब लगा, जब चीन का शांघाई बंदरगाह बंद हो गया।
लुधियाना पंजाब का कपड़ा उद्योग का अड्डा है, जहां सालाना 20,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। देसी बाजार के लिए बनने वाले परिधानों में इसका 90 फीसदी से ज्यादा योगदान है। लेकिन पिछले 6 साल से इसे एक के बाद एक झटके झेलने पड़ रहे हैं। वर्ष 2016 में नोटबंदी ने इस शहर के होजरी उद्योग की कमर ही तोड़ दी थी। होजरी उद्योग में ज्यादातर सूक्ष्म एवं लघु उद्यम हैं। काफी अरसे बाद जब इस उद्योग ने धीरे-धीरे अपने पांवों पर खड़ा होना शुरू किया तो कोविड-19 महामारी ने इसे फिर रेंगने पर मजबूर कर दिया।
पिछले दो महीने से शांघाई बंदरगाह का बंद होना लुधियाना कपड़ा उद्योग के लिए नया झटका है। चीन में कोविड महामारी बढ़ने की वजह से शांघाई बंदरगाह बंद किया गया है। शांघाई के जरिये ही चीन के 20 फीसदी माल की आवाजाही होती है। चीन का बटन, चेन, सजावटी चीजों जैसे परिधान एक्सेसरीज की आपूर्ति में लगभग एकाधिकार है। हालांकि यह बंदरगाह पिछले सप्ताह कारोबार के लिए खुल गया, लेकिन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वहां से आपूर्ति सामान्य होने में महीने भर से ज्यादा वक्त लग जाएगा।
एक बुनाई इकाई के मालिक और छोटे खुदरा विक्रेता रहमान ने कहा, ‘अब हम थक गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कच्चा माल दिनोदिन महंगा होता जा रहा है और कई महीनों से  एक्सेसरीज की आपूर्ति भी रुक-रुककर हो रही है। इसके अलावा ऊपरी खर्चे हैं और कामगारों को भी पैसा देना होता है। बहुत
मु​श्किल है।’
परिधान उद्योग के संघ निटवियर क्लब के अध्यक्ष विनोद थापर ने कहा, ‘परिधान एक्सेसरीज की आपूर्ति पिछले 3-4 महीनों से सुस्त है और भरोसेमंद नहीं है।’ बहुत से खुदरा विक्रेताओं ने कहा कि एक्सेसरीज के बिना उनके उत्पाद आधे दाम पर भी नहीं बिकेंगे। इन एक्सेसरीज में ज्यादातर का आयात चीन से होता है।
थापर और अन्य का कहना है कि शांघाई बंदरगाह फिर खुल गया है, लेकिन लुधियाना के विनिर्माताओं ने उत्पादन योजना में कटौती कर दी है या देर कर दी है क्योंकि उन्हें डर था कि सर्दियों में पीक सीजन तक वे माल तैयार ही नहीं कर पाएंगे। फैक्टरी मालिकों का कहना है कि पहले बुनियादी कच्चा माल आने में 15 से 20 ​दिन और विशेष ऑर्डरों के लिए माल आने में 60 दिन लगते थे। अब यह समय कई गुना बढ़ गया है। नतीजतन विनिर्माताओं को कच्चा माल बहुत महंगा पड़ रहा है। थापर ने कहा कि बहुत से फैक्टरी मालिकों को एक्सेसरीज यहीं से खरीदनी पड़ रही हैं। लेकिन देसी माल गुणवत्ता और दाम में चीनी माल का मुकाबला नहीं कर पाता।  
डॉलर के मुकाबले लुढ़कता रुपया भी मुश्किल पैदा कर रहा है। कपड़ा विनिर्माता और खुदरा विक्रेता हरिंदर थापर ने कहा, ‘हमारे माल की बुनियादी कीमत न बढ़े तो भी हमें आयात के लिए ज्यादा पैसा चुकाना पड़ रहा है।’
उद्योग को हाथ से बने कपड़े बेचने वाले छोटे विनिर्माताओं की अधिक चिंता है, जिन पर दोहरी मार पड़ रही है। बुनियादी कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी के अलावा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से उनका कारोबार अत्यधिक प्रभावित हो रहा है क्योंकि नायलॉन और पॉलिएस्टर जैसे कपड़े पेट्रोलियम से बनते हैं।
निटवियर ऐंड अपैरल मैन्यूफैक्चरर्स एसो​सिएशन ऑफ लुधियाना के अध्यक्ष सुदर्शन जैन ने कहा, ‘मझोले और बड़े विनिर्माताओं ने समझौता करना और आपूर्ति के झटकों के बीच काम करना सीख लिया है, लेकिन सूक्ष्म उद्योगों पर दबाव काफी अधिक है। उनके वजूद पर तलवार लटक रही है।’
जैन ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि इस सीजन में सर्दियों के परिधान की कीमतें 15 से 20 फीसदी बढ़ेंगी। हमें बढ़ती कीमतों पर चौकन्ना रहना पड़ेगा वरना हमारी बिक्री कम रह सकती है।’ उनका कहना है कि फैशन ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ट्रेंड बहुत जल्दी बदल जाता है। अगर उपभोक्ता बढ़ी कीमतों पर माल नहीं खरीदते तो माल नहीं बिक पाएगा, जिसका अगले साल कोई उपयोग नहीं रह जाएगा क्योंकि तब तक शायद ट्रेंड बदल चुका होगा।

First Published - June 9, 2022 | 12:38 AM IST

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