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महंगाई के साये में फीकी दिवाली

Last Updated- December 08, 2022 | 1:40 AM IST

दिवाली में बिक्री की फुलझड़ी से गुलजार रहने वाली कंपनियों के दिये इस बार रोशन होने की उम्मीद कम ही है।


त्योहारी सीजन में ताबड़तोड़ बिक्री के अरमानों पर ईद और दशहरे की ठंड पहले ही पानी फेर चुकी है, बची खुची कसर दिवाली पर भी सन्नाटा पूरा कर रहा है। कारोबारियों और जानकारों की मानें, तो पिछले एक दशक में कंपनियों के लिए यह शायद सबसे फीकी दिवाली साबित होगी।

दिवाली का त्योहार महज दो दिन दूर है और ग्राहक अब भी दुकानों की देहरी पार करने से कतरा रहे हैं। हालांकि तमाम कंपनियों ने छूट दी हैं और उन्हें बिक्री में तेजी आने की उम्मीद है, लेकिन इस उम्मीद को बेमानी ही माना जा रहा है।

एलजी, सैमसंग, वीडियोकॉन, नेस्ले जैसी कंपनियां मान रही हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस बार बिक्री 20 से 30 फीसद तक कम है।एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के कंज्यूमर एप्लायंसेज कारोबार के प्रमुख अमिताभ तिवारी को उम्मीद है कि बिक्री जोर पकड़ेगी, लेकिन वह यह भी मान रहे हैं कि ग्राहक इस बार खरीदारी में बहुत एहतियात बरत रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘बेशक इस बार बिक्री पहले की तरह नहीं रही है और हमारी उम्मीदों के मुताबिक ग्राहक नहीं आए हैं। लेकिन हमें लगता है कि दिवाली से ठीक पहले इसमें तेजी आ जाएगी।’गोदरेज एप्लायंसेज के सेल्स एवं मार्केटिंग उपाध्यक्ष कमल नंदी बिक्री कम होने के पीछे कुछ और ही तर्क देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘पिछले साल दशहरा और दिवाली अलग-अलग महीनों में पड़ी थी, इसलिए खरीदारी भी ज्यादा हुई थी। इस साल दोनों त्योहार एक ही महीने में आए हैं, इसलिए खरीदारी का बजट भी कम हुआ है। वैसे त्योहारी ऑफर बिक्री बढ़ाएंगे।’

सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रवक्ता भी मानती हैं कि ज्यादा ऑफर्स नहीं आने की वजह से ग्राहक खरीदारी में जोश नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमने मुफ्त सर्विस कैंप और सस्ती फाइनैंस सुविधा तो दी है, लेकिन लागत बढ़ने की  वजह से कीमतों में कटौती हमारे वश में नहीं। इसका असर बिक्री पर भी पड़ रहा है। लेकिन हमें उम्मीद है कि साल भर का लक्ष्य हम हासिल कर ही लेंगे।’

विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि मंदी की आहट के बीच जेब से पैसे निकलना अब मुश्किल ही है। इसके अलावा महंगाई बढ़ने के कारण भी त्योहारों के सीमित बजट में ज्यादा खरीदारी अब आसान नहीं रही। यही वजह है कि कंपनियों को इस साल त्योहारों में वारे न्यारे होने की उम्मीद अब नहीं लगानी चाहिए।

First Published - October 26, 2008 | 9:28 PM IST

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