मध्य प्रदेश सरकार ने कल देर शाम को एक अधिसूचना जारी कर राज्य के कर्मचारियों द्वारा की गई हड़ताल को देखते हुए उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने का रास्ता साफ कर दिया।
हालांकि कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने कुछ घंटे चली हड़ताल कल शाम को ही वापस ले ली लेकिन राज्य सरकार की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। कर्मचारियों के बढ़ते दबाव को देखते हुए राज्य सरकार ने महज 20 फीसदी अंतरिम राहत की घोषणा की थी। इसके विरोध में कल राज्य के साढ़े चार लाख कर्मचारियों ने काम बंद किया और सड़कों पर आ गए।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए राज्य सरकार को 2600 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। आने वाले चुनावों के खर्चों को देखते हुए भाजपा सरकार ने केंद्र से 50 फीसदी नकद सहयोग की मांग की है। राज्य के वित्त मंत्री राघव जी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार हमें 50 फीसदी राशि जो लगभग 1250 करोड़ रुपये है, मुहैया कराएगी।’
उन्होंने वेतन आयोग से वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांग की है और उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई निर्णय से वेतन आयोग राज्य को अवगत करा देगा। हालांकि उन्होंने विसंगतियों के बारे में खुलासा करने से इंकार कर दिया।
वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक राज्य में लगभग डेढ़ लाख कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें 5500-8800 (9000) रुपये के वेतनमान में रखा गया है। इससे अधिक वेतनमान 6500-10500 रुपये है। ये दोनों वेतनमान नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद 9300-34000 रुपये में बदल जाएंगे। राज्य के सभी छोटे बड़े लिपिक वर्ग और छोटे अधिकारी इसी एक वेतनमान में आ जाएंगे।
राघव जी कहना है, ‘सभी क्लर्क श्रेणी और कनिष्ठ अधिकारी वर्ग, जिनमें तहसीलदार और थानेदार भी शामिल हैं, एक ही वेतनमान लेंगे। इससे न केवल उनकी पदोन्नति के अवसर खत्म होंगे बल्कि राज्य में प्रशानिक अनुशासन गड़बड़ाने की आशंका है। हम चाहते हैं कि कम से कम वेतन आयोग उनके ग्रेड वेतन में अंतर रखे।’
राजस्थान भी झूम उठा
राजस्थान सरकार ने राज्य कर्मचारियों, पंचायतों और स्थानीय निकाय एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के लिए छठे वेतन आयोग की अधिकतर सिफारिशों को एक सितम्बर 2006 से लागू करने की घोषणा की है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया।