महाराष्ट्र में बरसात कम होने के कारण इसका सबसे बुरा असर कृषि पर पड़ रहा है। बरसात की कमी को देखते हुए सरकार ने अपनी तरफ से किसानों की हर संभव मदद करने के लिए कमर कस ली है।
राज्य में सूखे जैसी स्थिति से निपटने केलिए राज्य सरकार ने 54 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है साथ ही बेरोजगारी से निपटने केलिए 57 लाख रुपये मजदूरों को काम देने की भी घोषणा की गई है। राज्य के मदद एवं पुर्नावसन मंत्री पतंगराव कदम के अनुसार जून के शुरुआत में तो अच्छी बारिश हुई, लेकिन इस के बाद राज्य में सही मात्रा में बारिश नहीं हुई और यही स्थिति 15 जुलाई तक बनी रही तो राज्य में अकाल जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।
बारिश की कमी को देखते हुए महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने खेती की समीक्षा केकरके इस समास्या से निपटने के लिए उपाय सोचना शुरू कर दिया है। राज्य के सभी जिलों की 31 अगस्त तक समीक्षा करने केबाद सरकार सभी उपयुक्त कदम उठाएगी। राज्य सरकार द्वारा जारी सूचना में कहा गया है कि मराठावाडा, पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में औसत से कम बारिश हुई है। 8 जुलाई तक राज्य के 8 जिलों में 100 फीसदी, 6 जिलों में 67 से 100 फीसदी, 8 जिलों में 50 से 75 फीसदी और 16 जिलों में 50 फीसदी बारिश कम हुई है। इसके वजह से राज्य में सूखे जैसी की स्थिति पैदा हो गई है।
सरकार ने किसानों को अश्वासन दिया है कि वह चिन्ता न करे सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। राज्य में कुल 128.46 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ की खेती की जाती है लेकिन पानी की कमी की वजह से इस साल अभी तक सिर्फ 39.41 लाख हेक्टेयर में फसल की बुवाई की जा सकी है। गौरतलब हो की महाराष्ट्र में पिछले कई सालों से सही बरसात न होने और पैदावार में कमी से किसान साहूकरों और बैकों के कर्ज के जाल में फंसकर आत्महत्या कर रहे हैं। सबसे ज्यादा विदर्भ और मराठावाडा में किसानों ने आत्महत्याएं की थी और इस बार लग रहा है कि इंद्र भगवान इन किसानों पर फिर तरस नहीं खाने वाले हैं।