महाराष्ट्र में उद्योगों को अब प्रत्येक सप्ताह 24 घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ेगा। कटौती की अवधि को प्रति सप्ताह 8 घंटे बढ़ाया गया है।
राज्य में सूखे जैसे हालात के कारण घरेलू, वाणिज्यिक और कृषि क्षेत्र में बिजली की मांग बढ़ी है। सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनी महावितरण के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात को सुधारने के उपाय नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में बिजली कटौती की अवधि को और बढ़ाना पड़ेगा।
मानसून के आने के साथ ही बिजली की मांग तेजी से घटती है। पंखों और एयरकंडीशनर में बिजली खपत घटती है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी टयूब वेल पर निर्भरता घटती है। लेकिन इस बार राज्य में मानसून के रूठने से मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़कर करीब 5,000 मेगावाट तक पहुंच गया है।
महावितरण के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक प्रत्येक औद्योगिक पार्क में किसी एक निश्चित दिन उद्योगों को 16 घंटे तक बिजली नहीं मिलती थी। अब कटौती की अवधि को बढ़ाकर 24 घंटे कर दिया गया है। इस बात की जानकारी राज्य के ऊर्जा मंत्री दिलीप पाटिल द्वारा बुलाई एक बैठक में उद्योग संघों को दी गई। उद्योगों को बिजली कटौती की अवधि बढ़ाने से 250 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्ध हो सकेगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग (एमईआरसी) के निर्देशों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में कटौती की अवधि को 12 घंटे से बढ़ाया नहीं जा सकता है। इसलिए अगर जरुरत पड़ी तो औद्योगिकी क्षेत्र में बिजली कटौती की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। पाटिल से उद्योगों की इस मांग को स्वीकार किया कि यदि और कटौती की जरुरत पड़ती है तो यह कटौती एक मुश्त होगी और बिजली आंख मिचौली नहीं खेलेगी।
तय समय पर एक मुश्त कटौती से उद्योगों को उत्पादन का समय और काम की पाली तय करने में मदद मिलेगी। ऊर्जा मंत्री ने यह आश्वासन भी दिया कि वह कैबिनेट से उन उद्योगों को डीजल और फर्नेस ऑयल की खरीद पर वैट से राहत देने की सिफारिश करेंगे जिनके पास कैप्टिव उत्पादन क्षमता है। उन्होंने हालांकि बिजली के तय शुल्क को कम करने की मांग को खरिज कर दिया।