दिल्ली और एनसीआर के रियल एस्टेट में मंदी छाने के कारण डेवलपर कंपनियां अब नए प्रयोग कर रही हैं।
कुछ समय पहले तक धड़ाधड़ परियोजनाओं को पूरा करने वाली दिग्गज रियल एस्टेट कंपनियां अब 10 से 15 वर्षों की लंबी अवधि वाली योजनाओं में ज्यादा विश्वास कर रही है।
रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा इतनी लंबी अवधि वाली योजनाओं में निवेश करने के पीछे एक तरफ वर्तमान में चल रही मंदी से बचने की कवायद माना जा रहा है। लंबी अवधि की परियोजनाओं से उन्हें बड़े क्षेत्रफल में फैली परियोजनाओं के लिए आवश्यक कोष जुटाने और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी।
पार्श्वनाथ की प्रवक्ता का कहना है कि लंबी अवधि की योजनाएं निश्चित तौर पर बाजार में कंपनी की स्थिति को मजबूत करती हैं। ऐसी योजनाएं उपभोक्ता और डेवलपर्स दोनों के लिए मुनाफे से भरी होगी। विश्लेषकों का मानना है हाल-फिलहाल मंदी का दौर जारी रहने की आशंका के कारण 1 या 2 साल में समाप्त होने वाली योजनाओं को शुरु करना काफी जोखिम भरा है और डेवलपर्स के लिए उपभोक्ताओं को खोजना काफी कठिन है।
डेवलपर्स ने बताया कि ये परियोजनाएं जब पूरी होंगी तब तक संभव है कि ब्याद दरों में कुछ नरमी आ जाए। अंसल के प्रवक्ता ने बताया कि इन योजनाओं का पूरा होना लाइसेंसिग, वित्तीय कोष की उपलब्धता और अनुकूल हालातों पर निर्भर करता है। इसलिए इतनी बड़ी योजनाओं को कम समय में पूरा करने की घोषणा के बाद इसे तयशुदा समय में समाप्त करना जरूरी हो जाता है, नहीं तो कंपनी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो जाता है। सार्वजनिक योजनाओं की समाप्ति का समय सरकार द्वारा तय किया जाता है।