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आज भी निवेशकों की पहली पसंद है महाराष्ट्र

Last Updated- December 08, 2022 | 11:05 AM IST

यह साल महाराष्ट्र के लिए विवादों से भरा रहा है। मनसे का फसाद, राणे का राग, एनकाउंटर स्पेशलिस्टों की मौत, आंतकवादी हमले और राजनीतिक उथल-पुथल केचलते राज्य का विकास और निवेश दोनों प्रभावित हुआ है।


अंबानी बंधुओं के विवाद और मंत्रियों की आपसी खींचतान के चलते कई परियोजनाएं लटकी रही तो कुछ राज्य से बाहर ही चले गए। इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निवेश के मामले में महाराष्ट्र दूसरे राज्यों से ज्यादा निवेश जुटाने में सफल रहा।

लेकिन मंदी केमायाजाल में फंसा उद्योग जगत, लोकसभा और विधानसभा चुनाव नजदीक होने तथा राज्य में राजनीतिक अस्थिरता केचलते 2009 भी महाराष्ट्र के लिए कुछ खास साबित होने वाला नहीं लग रहा है।

हालांकि देश के विकसित राज्यों में अग्रणी स्थान रखने वाले महाराष्ट्र ने अपनी सत्ता को कायम रखने के लिए सबसे ज्यादा राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास में ध्यान दिया है। मुंबई को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की योजनाएं चल रही हैं।

मेट्रो रेल परियोजना, मोनो रेल परियोजना, लोकल ट्रेन विस्तार योजना, वरली-बांद्रा सी लिंक परियोजना, शिवड़ी-न्हावा शेवा परियोजना, सड़कों का चौड़ीकरण, 50 स्काईवाक, 16 फ्लाईओवर के अलावा राज्य के प्रमुख 12 मार्गों का 4-6 लेन में तब्दीलीकरण और विद्युत उत्पादन एवं पानी की सही व्यवास्था के लिए कई योजनाएं हैं।

मेट्रो रेल परियोजना का पहला चरण (चारकोप-ब्रांद्रा-मानखुर्द)का काम जारी है, इसकी लागत 6192 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। चार साल में पूरा होने की उम्मीद की जा रही है।

मोनो रेल परियोजना का उद्धाटन 29 नवंबर को प्रधानमंत्री के हाथों होना लेकिन मुंबई में आतंकी हमले के बाद इसको दिसंबर के पहले सप्ताह में बिना उद्धाटन के ही शुरू कर दिया गया।

पहला चरण 24 माह में पूरा किया जाना है और दूसरे चरण का काम 30 महाने में पूरा हो जाएगा। पहले चरण में 19.5 किलोमीटर और दूसरे चरण में 8.26 किलोमीटर का काम होना है। मुंबई की जीवनरेखा लोकल की जिम्मेदारी एमआरवीसी के पास है।

इसका काम दो चरणों में पूरा होना था पहला चरण मई 2009 तक पूरा होने की बात कही जा रही है। पहले चरण के लिए 3125 करोड़ रुपये और दूसरे चरण के लिए 5300 करोड़ रुपये के लागत का अनुमान लगाया गया। प्रथम चरण के विकास के लिए महाराष्ट्र सरकार और रेल मंत्रालय मिलकर एमआरवीएस को 3125 करोड़ रुपये की रकम मुहैया भी कराई।

इसमें से 1613 करोड़ रुपये विश्व बैंक से ऋण लेकर दिया गया। पुणे और नवी मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की अनुमति मिलने से मुंबई में हवाई टै्रफिक कम होगा। राज्य में लाटूर के लिए हवाई सुविधा मुहैया कराने के बाद नासिक, कोल्हापुर, सोलापुर जैसे शहरों को भी 2009 के अंत तक हवाई मार्ग से जोड़ने की योजना है।

नागपुर को कार्गो हब बनाने की कोशिश जारी हैं। राज्य की औद्योगिक गति बढ़ाने और रोजगार के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने के लिए 136 सेज परियोजनओं को मंजूरी दी गई है। जबकि देशभर में कुल 400 सेज को मंजूरी मिली है।

सेज के माध्यम से 1,35,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद की जा रही है। लेकिन कई बड़ी कंपनियों के सेज शुरू होने के पहले ही विवादित हो गये हैं जिनका अभी तक हल नहीं निकल सका है। इनमें 40,000 करोड़ रुपये लागत का रिलांयस सेज, 8000 रुपये लागत का वीडीयोकॉन का सेज और एस्सेल समूह का गोराई उत्तन सेज शामिल है।

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वित्त वर्ष में अभी तक 1,50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश  होने की मंजूरी मिल चुकी है, जो दूसरे राज्यों से कहीं ज्यादा है। निवेश की यह राशि और अधिक हो सकती थी यदि राज्य में मनसे फसाद न खड़ा करता।

विदेशी निवेश को आमंत्रित करने के उद्देश्य से सूबे के मुखिया जब यूरोपीय देशों के दौरे पर गए तो वहां राज्य की कानून व्यवस्था पर निवेशकों ने सवाल खड़े किये। नतीजतन 8000 करोड़ रुपये राज्य की झोली में लाने के उम्मीद से गये देशमुख सिर्फ 2000 करोड़ रुपये लेकर वापस आ गए।

लोगों को घर उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने निजी क्षेत्र केसाथ मिलकर पहली बार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) योजना में काम करना शुरू किया है। एमएमआरडीए ने अपने किराये के आवासीय योजना को प्रारंभ करने की घोषण की है।

इस परियोजना के तहत 2009 के दौरान 6000 किराये के आवास उपलब्ध करायेगा और अगले 5 सालों में 5,00,000 आवास तैयार किये जाएंगे।

First Published - December 25, 2008 | 8:36 PM IST

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