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वैट से छूट पर ‘कभी हां, कभी ना’

Last Updated- December 08, 2022 | 2:41 AM IST

उत्तराखंड के वित्त विभाग ने आज कहा कि वह वैट के लिए निर्धारित सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की व्यापारियों की मांग को मानने की स्थिति में नहीं है।


इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कल हल्द्वानी में कहा था कि वह व्यापारियों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे। इस मसले पर भारतीय उद्योग एसोसिएशन (आईएयू) के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने भी मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा है।

राज्य में वैट सरकार के राजस्व का अहम जरिया है। समाचार पत्रों में मुख्यमंत्री के हवाले से छपी खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि 5 लाख रुपये की सीमा वैट के राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

इसमें छूट देने जैसे किसी भी कदम से पर्वतीय राज्य के बजट पर बुरा असर पड़ेगा, जबकि राज्य सरकार पहले ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बोझ तले दबी है। उत्तराखंड सरकार ने पहले ही नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का फैसला किया है।

इसके बाद कर्मचारियों का वेतन 25 प्रतिशत और पेंशन करीब 40 प्रतिशत बढ़ जाएगी। नए वेतन आयोग की सिफारिशें मानने से राज्य के खजाने पर हर साल 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। इस साल सरकार को वेतन के मद में 744 करोड़ रुपये और पेंशन के मद में 284 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे।

एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि ‘राज्य पहले ही वित्तीय बोझ से जूझ रहा है, ऐसे में हम वैट की सीमा में किसी तरह की बढ़ोतरी का विरोध करेंगे।’ इस बीच खंडूड़ी ने सरकार और कारोबारियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए एक नई समिति ‘व्यापार मित्र’ के गठन की घोषणा की है।

First Published - November 6, 2008 | 8:49 PM IST

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