कोरोना काल में फिर एक बार उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिलने के आसार बढ़ गए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने पारेषण कंपनी की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) में कटौती करते हुए प्रस्ताव को मंजूरी दी है। आयोग से इस कदम के बाद अब बीते साल की तरह एक बार फिर से बिजली दरों में बढ़ोत्तरी न होने की उ मीद बढ़ गयी है।
नियामक आयोग ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड के वित्तीय वर्ष 2021-22 के एआरआर प्रस्ताव पर अपना फैसला सुनाया है। ट्रांसमिश्न कारपोरेशन ने आयोग के सामने पेश किए गए प्रस्ताव में एआरआर लगभग 3547 करोड़ रुपये मांगे थे। इसमें करीब 23 फीसदी की कटौती करते हुए आयोग द्वारा केवल 2720 करोड़ रुपये अनुमोदित किया गया है। ट्रांसमिशन निगम के प्रस्ताव पर बुधवार को नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य केके शर्मा और वीके श्रीवास्तव ने अपना फैसला सुनाया है। अपने प्रस्ताव में पावर ट्रांसमिशन ने जो ट्रांसमिशन टैरिफ 0.2942 रुपये प्रति यूनिट माँगा था उसे आयोग ने केवल 0.2421 रुपये प्रति यूनिट अनुमोदित किया है । इस तरह वर्तमान में ट्रांशमिशन टैरिफ में केवल नाममात्र के लिए आधा पैसा की ही बढ़ोत्तरी की गयी है। पावर ट्रांसमीशन कारपोरेशन के प्रस्ताव में वर्ष भर में ट्रांमिशन लाइन पर लगभग 1205680 लाख यूनिट बिजली देने की बात कही थी वहीं आयोग द्वारा केवल 1123600 लाख यूनिट अनुमोदित किया है।
आयोग के आदेश के बाद राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ल बी लडा़ई के बाद ट्रांसमिशन कंपनी के एआरआर में भारी कटौती की गयी है जिसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलना तय है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में बिजली वितरण निगम की ओर से उपभोक्ताओं के लिए दरों का प्रस्ताव भी आना है और उस पर इस कटौती का असर पड़ेगा। वर्मा के मुताबिक नियामक आयोग के फैसले से इतना तो तय हो गया है कि बिजली के दाम अब नहीं बढ़ेंगे और उपभोक्ताओं के लिए राहत रहेगी। गौरतलब है कि बीते साल भी कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में बिजली दरें नहीं बढ़ायी गयीं थीं।