Impact of US Fed rate cut: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की घोषणा के प्रभाव पर विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कम दर पर वित्तपोषण निवेश प्रवाह को बढ़ावा दे सकता है, तो कुछ का मानना है कि इससे शेयर पर रिटर्न में कमी आएगी और सोने के दाम चढ़ेंगे।
गौरतलब है कि फेडरल रिजर्व की इस कटौती के साथ प्रमुख नीतिगत दर 4.75 से 5.0 प्रतिशत के दायरे में आ गयी है। इससे पहले यह 5.25 से 5.50 प्रतिशत के दायरे में थी, जो करीब दो दशक का उच्चतम स्तर है।
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि फेडरल के दर में कटौती करने से इक्विटी पर रिटर्न में कमी आ सकती है और सोने की कीमतों में तेजी आ सकती है।’’ इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कोलिन शाह ने कहा कि इस परिदृश्य को सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती से सोने की कीमतों में तेजी की आशंका बढ़ गई है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती से उभरते बाजारों में भी ब्याज दर में कमी आ सकती है। बिज2क्रेडिट और बिज2एक्स के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रोहित अरोड़ा ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर यह होगा कि स्थानीय शेयर बाजारों में विदेशी धन के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह बढ़ेगा। इससे रुपया मजबूत होगा और भारत में ब्याज दरें कम होंगी, जिससे आरबीआई को ब्याज दरें कम करने का मौका मिलेगा।’’
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रास्फीति को कम करने के प्रयास में फरवरी, 2023 से नीतिगत दर रीपो को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखा है। इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉम के सह-संस्थापक विशाल गोयनका ने कहा, ‘‘….मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक अगले महीने होनी है, हालांकि भारत में दरों में कटौती अभी संभव नहीं है। शायद अभी इसकी आवश्यकता भी नहीं है।’’
ओमनीसाइंस कैपिटल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं मुख्य निवेश रणनीतिकार विकास वी. गुप्ता ने कहा, ‘‘वैश्विक निवेशकों के लिए खासकर भारत जैसे उभरते बाजारों में कम दर पर वित्तपोषण निवेश प्रवाह को बढ़ावा दे सकता है। विशेष रूप से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) से…’’