महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल में घोषित किसान कर्ज माफी पैकेज से एक बार फिर पश्चिमी महाराष्ट्र को सबसे अधिक फायदा मिला है जबकि अधिक संकटग्रस्त विदर्भ और मराठवाड़ा पीछे छूटते दिख रहे हैं।
कृषि से जुड़े संगठनों ने बताया कि 6,200 करोड़ रुपये के कर्ज माफी पैकेज में से करीब 3,000 करोड़ रुपये पश्चिमी महाराष्ट्र को मिले हैं जबकि विदर्भ और मराठावाड़ा को क्रमश: 1,000 करोड़ रुपये और 1,800 करोड़ रुपये ही मिल सके हैं।
दरअसल केंद्र सरकार द्वारा घोषित 71,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफी पैकेज से पश्चिमी महाराष्ट्र को सबसे अधिक फायदा मिला था। इसके बाद सामाजिक कार्यकताओं, राजनीतिक नेताओं और मीडिया ने राज्य सरकार पर एक और पैकेज जारी करने का दबाव बनाया ताकि विदर्भ और मराठवाड़ा को भी राहत मिल सके।
राज्य में किसानों द्वारा आत्महत्या की सबसे अधिक घटनाएं विदर्भ के सात कपास उत्पादक जिलों में हुईं हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र को केंद्र के कर्ज माफी और राहत पैकेज से सबसे अधिक फायदा पहुंचा था।
इस क्षेत्र में सिंचाई की बेहतर हैं और किसान गन्ने जैसी नकदी फसलों की खेती करते हैं जिसके लिए आसानी से कर्ज भी मिल जाता है।
केन्द्रीय राहत पैकेज में 5 एकड़ तक जमीन वाले किसानों को ही कर्ज माफी दी गई थी जबकि राज्य सरकार के पैकेज में धनी किसानों को भी कर्ज माफी दी गई है।
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमी महाराष्ट्र में किसानों को 2,500 करोड़ रुपये की कर्ज माफी दी गई थी , मराठवाड़ा को 1900 करोड़ रुपये मिले थे।
विदर्भ, उत्तरी महाराष्ट्र और कोंकण के हिस्से में क्रमश: 1600 करोड़ रुपये, 1400 करोड़ रुपये और 400 करोड़ रुपये मिले थे। राज्य सरकार के कर्ज माफी पैकेज के तहत 5 एकड़ से अधिक जमीन रखने वाले सभी किसानों के 20,000 रुपये तक के कर्ज को पूरी तरह से माफ कर दिया गया है।
जिन किसानों ने 20,000 से अधिक कर्ज लिया है उन्हें भी 20,000 रुपये की कर्ज माफी दी गई है और अब उन्हें 20,000 के अतिरिक्त रकम ही चुकानी होगी।