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स्टील में तेजी से लड़खड़ाई साइकिल

Last Updated- December 06, 2022 | 11:03 PM IST

सरकार के हस्तक्षेप के बाद देश में बड़ी स्टील कंपनियों ने हालांकि कीमतों में कटौती के लिए हामी भर दी है लेकिन इस साल की शुरुआत से स्टील की कीमतों में लगातार हुई बढ़ोतरी ने जालंधर के साइकिल उद्योग की कमर तोड़ दी है।


कीमतों में लगी आग के कारण बड़ी संख्या में साइकिल के कल-पुर्जे बनाने वालों ने अब दूसरे कारोबार का रुख करना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर कुछ विनिर्माता अपने कारोबार को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित कर रहे हैं। साइकिल राज्य के प्रमुख उद्योगों में एक है और साइकिल के बेहतरीन मॉडल तैयार करने के लिए  जालंधर का नाम देश-विदेश में मशहूर है।


इस उद्योग से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन स्टील की कीमतों में तेजी आने के बाद साइकिल उद्योग को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। एक समय में साइकिल उद्योग से पंजाब को बड़ी मात्रा में रोजगार मिलता था। स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी से पहले ही उद्योग को चीन में तैयार सस्ती साइकिलों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी के बाद तो उद्योग के लिए चीन के मुकाबले में टिक पाना असंभव सा हो गया है।


राज्य के लघु और मझोल उद्योग बोर्ड केउपाध्यक्ष और भारतीय साइकिल विनिर्माता संघ के अध्यक्ष एस. के. धंडा ने बताया कि पिछले एक साल के दौरान इस्पात की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण शहर के साइकिल और कल-पुर्जा बाजार को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है।


उन्होंने कीमतों में बढ़ोतरी के लिए केन्द्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकार स्टील की कीमतों में नियंत्रण लगाने में पूरी तरह से असफल रही है, जिसके कारण साइकिल उद्योग को बुरे हालातों का सामान करना पड़ रहा है। धंडा ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में साइकिल उद्योग को बचाना चाहती है तो उसे निर्यातकों को सब्सिडी देनी चाहिए और दूसरे देशों से आने वाली साइकिलों और उनके कलपुर्जो पर तत्काल एंटी-डंपिंग डयूटी लगा देनी चाहिए।


उन्होंने कहा कि दूसरे उद्योग की लॉबी काफी मजबूत है और इसलिए वे साइकिल उद्योग के मुकाबले अधिक सब्सिडी और लाभ हासिल कर लेते हैं। उन्होंने साइकिल उद्योग को बचाने के लिए विनिर्माताओं को अधिक सब्सिडी देने की मांग की। यूनाइटेड साइकिल पाट्र्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चरणजीत सिंह विश्वकर्मा ने भी कुछ इस तरह की बात कही।


उन्होंने कहा कि बीते दिनों स्टील की कीमतों में 45 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि साइकिल उद्योग श्रम प्रधान उद्योग है जो करीब 5 लाख लोगों को रोजगार देता है लेकिन इसे बचाने में सरकार की कोई रुचि नहीं लगती है। कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से मुनाफे का मार्जिन घटकर 2 से 3 प्रतिशत रह गया है। इस कारण साइकिल उद्योग को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।


उन्होंने बताया कि ज्यादातर कच्चा माल दूसरे राज्यों से आता है और उत्पादन के बाद करीब 95 प्रतिशत साइकिलों की बिक्री दूसरे राज्यों में होती है। उद्योग को कच्चे माल और फिर तैयार माल दोनों पर टैक्स देना पड़ता है। इसलिए उद्योगपति अब कारोबार को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने की सोच रहे हैं।


साइकिल की रफ्तार पर लगी ब्रेक


पिछले कुछ महीनों के दौरान स्टील की कीमतों में 45 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
साइकिल उद्योग को चीन में तैयार उत्पादों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

First Published - May 13, 2008 | 9:53 PM IST

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