महाराष्ट्र से सटे ठाणे (देहात) के सावड में ठाणे ग्रामीण कोविड हॉस्पिटल में बैठे गोपाल (बदला हुआ नाम) को जब यह बताया गया कि उसके भाई मोतीराम की हालत में सुधार हो रहा है तो उसे बहुत राहत महसूस हुई। मोतीराम उस अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती हैं। हालांकि गोपाल के चेहरे पर सकून के भाव अधिक देर तक टिक नहीं पाए। अस्पताल के एक कर्मचारी ने जब उसे ऐंबुलेंस का इंतजाम करने और एक निजी अस्पताल में मोतीराम के फेफड़े का सीटी स्कैन करने के लिए कहा तो उसके होश उड़ गए।
अस्पताल में 50 बिस्तरों वाली आईसीयू सुविधा तो है लेकिन वहां सीटी स्कैन मशीन नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने इस मशीन के लिए जिला कलेक्टर के पास अनुरोध तो भेजा है लेकिन इस मामले पर अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है। इस बीच, अस्पताल में एक ऑक्सीजन कंसन्टे्रटर प्लांट लगाया जा रहा है। यह संयंत्र अगले एक सप्ताह में शुरू हो जाएगा और अगर महामारी की तीसरी लहर आती है तो उसमें शायद इस्तेमाल हो सकती है।
यह अस्पताल अप्रैल के मध्य से काम कर रहा है और तब से बड़ी संख्या में यहां कोविड-19 से संक्रमित मरीज पहुंच रहे हैं। इस ग्रामीण अस्पताल में दिन-रात मरीजों का इलाज चल रहा है। हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में संक्रमण के मामले कम हुए हैं। इस समय उपलब्ध नियमित बिस्तरों में केवल 30 प्रतिशत ही भरे हैं।
मैजिक दिल हेल्थ एलएलपी के संस्थापक राहुल घुले इस अस्पताल का प्रबंधन करते हैं। घुले कहते हैं कि मरीजों की संख्या में कमी तो आई है लेकिन संक्रमण के गंभीर मामले अब भी कम नहीं हुए हैं। बकौल घुले, इस महामारी से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या अब भी कम नहीं हुई है। इस अस्पताल में परिचालन कार्य देख रहे एक प्रबंधक ने कहा कि आईसीयू में भर्ती मरीजों में आधे 25 से 45 वर्ष उम्र के हैं। वह कहते हैं, ‘युवा एवं मध्य आयु वर्ग के लोग कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के साथ यहां आ रहे हैं जो चिंता की बात है। पहली लहर में इस महामारी से संक्रमित होने वाले मरीजों में ज्यादातर बुजुर्ग थे।’
मरीजों के सगे-संबंधियों से बात करने से पता चलता है कि वे केंद्र एवं राज्य दोनों को इस विकराल स्थिति के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र एवं राज्य सरकारों ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों को गंभीरता से नहीं लिया और इनकी रोकथाम के उपाय करने में काफी देर कर दी। सावड अस्पताल से निकलकर हम शाहपुर के निकट वफे-घोटेघर में एक कोविड केंद्र की तरफ बढ़ते हैं। इस केंद्र में मामूली एवं बिना लक्षण वाले मरीजों का इलाज होता है। इस केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारी स्वप्निल शिरसाठ मानते हैं कि पिछले एक पखवाड़े में मरीजों की संख्या कम हो गई है। उन्होंने कहा कि मामले कम होने के बावजूद वह पूरी तरह सतर्क हैं। तीसरी लहर की आशंका के बारे में शिरसाठ कहते हैं कि चर्चाएं तो चल रही हैं, लेकिन इसके खतरे से निपटने के लिए अब तक कोई नीति तैयार नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि किसी तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरा तंत्र आने वाले कुछ महीनों तक मुस्तैद रहेगा।
आर्थिक प्रभाव
शाहपुर के कोविड केंद्र तक की तरफ जाते समय गलियां सुनसान थीं। महाराष्ट्र सरकार ने इस महीने कड़े नियम-कायदों के साथ लॉकडाउन लगा दिया था और इसी वजह से लोग नदारद दिख रहे थे। एक फल विक्रेता से बात की तो उसने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लोगों को गंभीर आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
पुंढे शाहपुर इंडस्ट्रियल एस्टेट ऐंड कोऑपरेटिव सोसाइटी के चेयरमैन मनोज पाटिल कहते हैं, ‘लोग कोविड-19 से बचने के लिए आवश्यक सतर्कता बरत रहे हैं और लॉकडाउन के नियमों के पालन कर रहे हैं। हालांकि इससे उनके आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हैं और अब वित्तीय तंगी बर्दाश्त करने की उनकी क्षमता एवं धैर्य दोनों जवाब देने लगे हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी वाहनों का आवागमन कम दिख रहा है। ग्राहक नहीं होने से आस-पास के ढाबे भी बंद हो हो गए हैं। मुंबई-आगरा सड़क पर नाके से सटे पेट्रोल पंप के एक कर्मचारी ने कहा कि कुछ परिवहन एवं दोपहिया वाहन ईंधन भराने या अन्य सेवाओं के लिए कभी-कभार जरूर आ जाते हैं। उस कर्मचारी ने कहा कि रविवार का दिन अपवाद होता है जब कुछ युवा जोड़े पेट्रोल पंप पर आते हैं और वाहनों में ईंधन लेकर लंबी सैर पर निकल जाते हैं।