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तूफान के बीच मछुआरों को सता रही बीमे की चिंता

Last Updated- December 12, 2022 | 4:31 AM IST

चक्रवाती तूफान तौकते के गुजरने के हफ्ते भर बाद ही अब यास तूफान देश के तटवर्ती इलाकों में तबाही मचाने के लिए तैयार है। ऐसे में लाखों मछुआरों को अपने वार्षिक बीमा कवर की चिंता सताने लगी है। दरअसल चक्रवाती तूफान आने पर सबसे अधिक मार मछुआरों के जीवन और उनकी आजीविका पर ही पड़ती है। ऐसे में उनके लिए एकमात्र सुरक्षा कवच उनका वार्षिक बीमा कवर होता है। लेकिन इस बार उनकी बीमा करवरेज को लेकर संदेह गहरा गया है जिसके बारे में स्पष्टीकरण के लिए वे बेचैनी से इंतजार कर रहे हैं।
मछुआरों की चिंता की वजह यह है केंद्र की प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत मिलने वाला कवरेज करीब एक वर्ष पहले 31 मई, 2020 को समाप्त हो चुका है। इसके बाद से उनके लिए घोषित 5,00,000 रुपये की कवरेज वाली प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का क्रियान्वयन अब तक नहीं हुआ है।
पीएमएसबीवाई के तहत मछुआरों को मृत्यु होने पर 2,00,000 रुपये की क्षतिपूर्ति राशि दी जाती थी। इसके जगह पर लाई गई नई बीमा योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बीमा कवरेज को बढ़ाकर सालाना 5,00,000 रुपये करने की बात कही गई है।
हालांकि, पहली योजना के समाप्त होने के एक वर्ष बाद भी नई योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
मछुआरों की प्रमुख सहकारी संस्था नैशनल फेडरेशन ऑफ फिशर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड विगत कई वर्षों से मछुआरों के लिए बीमा कवर के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी रही है। हालांकि पीएमएमएसवाई के तहत हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय मत्स्य बिकास बोर्ड (एनएफडीबी) को मछुआरों के लिए बीमा योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि अब तक देश में अनुमानित 2.5 करोड़ मछुआरों में से करीब 30-40 लाख को ही हर साल बीमा कवर मिल पाता है।
पीएमएमएसवाई के तहत बीमा कवर के लिए राज्य सरकारों को मछुआरों का पंजीकरण और नामांकन करना है जिसको लेकर सूत्रों का कहना है कि केंद्र से इसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों के अभाव में इसमें देरी हो रही है।
एनएफडीबी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम केंद्र से स्पष्ट दिशानिर्देशों के जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही दिशानिर्देश आ जाएगा बढ़ी हुई बीमा कवर के लिए मछुआरों का नामांकन शुरू हो जाएगा।’
जब तक इस दिशा में कार्रवाई नहीं होती है तब तक एक के बाद एक आ रहे चक्रवातों के कारण आजीविका पर मंडरा रहे खतरे के बीच मछुआरों को आशंकाओं में पड़े रहना होगा।
बहरहाल, चक्रवात यास 26 मई की दोपहर को पारादीप और सागर द्वीप के बीच उत्तरी ओडिशा-परिश्चम बंगाल तटों से भीषण चक्रवाती तूफान के रूप में गुजरेगा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि इस दौरान 155-165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी और जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचेगी।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति से निपटने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों की तैयारी की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी और तटवर्ती इलाकों की गतिविधि में शामिल लोगों को समय पर सुरक्षित स्थान पहुंचाने के लिए कहा था। आज गृहमंत्री अमित शाह ने चक्रवात से प्रभावित होने वाले संभावित राज्यों के मुख्य मंत्रियों के साथ बैठक की।
सशस्त्र बलों को अलर्ट पर रखा गया है। नौसेना ने चार युद्घपोतों और कई हवाईजहाजों को आपात उपयोग के लिए तैयार रखा है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और बचाव कार्यों को अंजाम देने के लिए कुल 149 टीमों को चिह्नित किया है जिनमें से 99 को जमीन तैनात किया जाएगा और बाकी 50 दल देशभर में इसके विभिन्न ठिकानों पर उपलब्ध रहेंगे जिन्हें जरूरत पडऩे पर तेजी से लोगों को हवाईजहाज से बचाने के काम में लगाया जाएगा।
खबरों में बताया गया है कि सीधे चक्रवात के रास्ते में पडऩे वाला पश्चिम बंगाल और ओडिशा ने तटीय इलाकों से लोगों को खाली कराने का काम शुरू कर दिया है।
व्यापार और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्वी तट पर स्थित कारोबारी चैम्बरों के साथ संवाद के दौरान कहा कि पिछले हफ्ते अरब सागर में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना जिसमें तौकते तूफान से टकराने के बाद बार्ज में कार्यरत 70 लोगों से अधिक की मौत की मौत हो गई थी, के बाद समुद्रों में नौकाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
दो दशकों से अधिक समय के बाद पिछले हफ्ते आए सर्वाधिक शक्तिशाली चक्रवाती तूफान तौकते के कारण 150 से अधिक लोगों की जान गई थी और उसने व्यापक तबाही के निशान छोड़े हैं।

First Published - May 24, 2021 | 9:19 PM IST

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