गुजरात के गांधीनगर स्थित इंटरनेशन फाइनेंशियल टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) के साथ महाराष्ट्र के लावास स्मार्ट सिटी में भी विदशी विश्वविद्यालयों को खोलने की तैयारी है। अमेरिका के चार विश्वविद्यालय लवासा में अपने संस्थान शुरु करने के लिए लगभग तैयार हो चुके हैं। इसके साथ ही यूके और इजाराइल के भी संस्थानों से बातचीत शुरु की गई है। लवासा में विदेशी विश्वविद्यालय लाने का प्रयास डार्विन प्लेटफ़ॉर्म ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ (डीपीजीसी) कर रही है।
नई शिक्षा नीति, उदार नियमों और सहयोग के अवसरों के परिणामस्वरूप चार अमेरिकी विश्वविद्यालयों- ब्रैंडिस, डलास, विस्कॉन्सिन और एनई इलिनोइस- ने डार्विन प्लेटफॉर्म ग्रुप के सहयोग से लवासा में कैंपस स्थापित करने में अपनी रुचि दिखाई। गौरतलब है कि देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पिछले महीने अपने अमेरिकी दौरे पर 14 प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों से बात करके उन्हे भारत में विदेशी विश्वविद्यालय शुरु करने का निमंत्रण दिया था। जिनको संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा थी कि इस योजना के तहत विश्वविद्यालयों के लिए शत प्रतिशत विदेशी स्वामित्व शामिल है। इसमें मुनाफे के प्रत्यावर्तन पर कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही इसपर कोई घरेलू कानून लागू होगा।
डार्विन प्लेटफ़ॉर्म ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ (डीपीजीसी) के ग्रुप सीईओ डॉ राजा रॉय चौधरी ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग की बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा कि ब्रैंडिस विश्वविद्यालय, डलास विश्वविद्यालय, विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय, उत्तर-पूर्वी इलिनोइस विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने बातचीत करीब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। अंतरराष्ट्रीय डिग्री के लिए हमारे पास छात्र क्षमता के कारण भारत में एक आधार स्थापित करने में रुचि है। समूह की विदेशी गठजोड़ के साथ देश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना है। डॉ चौधरी के मुताबिक भविष्य में अवसर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में होगा जहां सरकार एनईपी 2020 के तहत उदार नीतियों के साथ आई है और शिक्षा क्षेत्र में एफडीआई खोला है। भारतीय छात्र सस्ती भारतीय दरों पर उसी कठोरता और तीव्रता और मूल्य प्रस्ताव के साथ विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जो उन्हें विदेशों में इसे आगे बढ़ाने के लिए मिलता है । इसके साथ-साथ उच्च तकनीक शिक्षा के क्षेत्र में यूके और इज़राइल के संस्थानों के साथ भी बातचीत चल रही है और बहुत जल्द घोषणाएं की जाएंगी। ।
नीति आयोग ने 2016 में प्रधान मंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना का सुझाव दिया गया था। यह विचार किया गया था कि यह देश में उच्च शिक्षा की मांग को पूरा करने, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और बाद में उच्च शिक्षा के मानकों में सुधार करने में मदद करेगा। बड़े व्यापारिक समूह और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों ने इस क्षेत्र में तेजी से अवसरों की तलाश शुरू कर दी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में कैंपस की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करते हुए कहा गया है कि दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को एक नए कानून के माध्यम से देश में संचालित करने के लिए विशेष सुविधा दी जाएगी। इस तरह विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश की सुविधा के लिए एक बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाना है, और ऐसे विश्वविद्यालयों को भारत के अन्य स्वायत्त संस्थानों के समान नियामक, शासन और सामग्री मानदंडों के संबंध में विशेष छूट दी जाएगी। इससे पहले भारत में एक जटिल उच्च शिक्षा नियामक प्रणाली है, जिसमें विश्वविद्यालयों को संचालित करने वाले कई नियामक, कई अनुमति आवश्यकताएं और निरंतर आधार पर कई अनुपालन हैं। इसलिए, दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालय भारत में एक परिसर बनाने से हिचकिचा रहे थे।