दो साल के लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने दोरबा स्थित ग्वालियर एग्रीकल्चर कंपनी लिमिटेड (जीएसीएल) के साथ एक विशेष परियोजना के किए समझौता किया है, जिसमें एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी शामिल है। जीएसीएल ग्वालियर शुगर कंपनी लिमिटेड की सहायक इकाई है और उसने इस परियोजना के सिलसिले में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ भी समझौता किया है।
प्रस्तावित परियोजना के लिए पहले 15000 करोड़ रुपये निवेश किए जाने थे लेकिन अब निवेश की राशि बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये हो गई है। पहले चरण में एक विमान केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में एयर कार्गो और लॉजिस्टिक केंद्र और तीसरे चरण में एक औद्योगिक या कृषि प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना
की जाएगी।
परियोजना के चौथे चरण के तहत टाउनशिप, मेडिकल पर्यटन, जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और मनोरंजन स्थलों को तैयार किया जाएगा।मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट स्तर के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि ‘राज्य सरकार 3,000 एकड़ जमीन के एवज में परियोजना में इक्विटी पार्टनर के तौर पर शामिल हुई है। हालांकि इस मामले में एक मुकदमा उच्च न्यायालय में लंबित है।’
उन्होंने बताया कि ‘परियोजना से करीब 1,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।’ राज्य में परियोजना मंजूरी और क्रियान्वयन परियोजना को अपनी सैद्वान्तिक मंजूरी पहले ही दे चुकी है। इस परियोजना में 6,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी शामिल है।
एक दूसरे सरकारी सूत्र ने बताया कि सरकार के साथ इस समझौते से कंपनी को 3,000 एकड़ जमीन मिल जाएगी जिसे वह सीलिंग कानून के कारण खो चुकी है। कंपनी ने सिंगापुर स्थित सलाहकार जुरांग इंटरनेशन और सिंगापुर एयरपोर्ट कंसोर्टियम के साथ समझौता किया है। उन्होंने बताया कि यह एक मात्र ऐसी रियल एस्टेट परियोजना है जो 60,000 लोगों को रोगजार मुहैया कराने की क्षमता रखती है जबकि दो लाख लोगों के लिए आवासीय योजना तैयार की जा रही है।
इससे पहले पीसीआईबी के पास जमा किए गए प्रस्ताव में कंपनी ने कहा था कि उसे सेज और एविएशन तथा कार्गो केंद्र बनाने के लिए 3800 एकड़ जमीन, टाउनशिप के विकास के लिए 770 एकड़ जमीन और उन्नत कृषि उत्पादों के विकास के लिए 4000 एकड़ जमीन की जरुरत है। सूत्र ने बताया कि कंपनी ने परियोजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार से 10,000 एकड़ अतिरिक्त जमीन की मांग की है।
मंत्री ने बताया कि परियोजना को पूरा होने में कम से कम पांच साल का समय लगेगा। कंपनी के पास बिजली और पानी की कोई कमी नहीं है, 60 मेगावाट का मानिकहेरा बांध जल्द ही उत्पादन शुरू कर देगा और गैस और कृषि–कचरे पर आधारित 17 मेगावाट के एक और बिजली परियोजना का प्रस्ताव है।
कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक प्रस्तावित विमानन केंद्र भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में हवाई जहाजों की मरम्मत का बड़ा केंद्र बन सकता है। यहां एबी-380 और बोइंग 787 जैसे बड़े विमानों की लैंडिंग, पार्किंग और मरम्मत की व्यवस्था होगी साथ ही अन्य विकास कार्य भी होंगे।