महाराष्ट्र में सरकार बदलते ही सबसे ज्यादा आरे मेट्रो कारशेड और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन काम में तेजी आने की उम्मीद है। करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का काम 2023 में पूरा होना था लेकिन राजनीतिक कारणों से महाराष्ट्र में यह गति नहीं पकड़ सकी। राज्य सरकार अब इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने की कवायद शुरू करने जा रही है।
राज्य में सरकार बदलते ही नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पिछली सरकार के आरे में मेट्रो 3 कार शेड के निर्माण पर रोक लगाने और इसे 102 एकड़ के कांजुरमार्ग प्लॉट में स्थानांतरित करने के फैसले को पलट दिया। इसके साथ ही बुलेट ट्रेन परियोजना में गति आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं और यह परियोजना सबसे ज्यादा चर्चा में आ गई। परियोजना पर पूछे गए सवाल के जवाब में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि राज्य में कई प्रोजेक्ट रुके हुए हैं। प्रोजेक्ट में जितनी देरी होती है उतनी लागत बढ़ती है। इससे लोगों को कोई फायदा नहीं होता है। जितने भी प्रोजेक्ट प्रलंबित हैं, उसे आगे हम बढ़ाएंगे और लोगों को जल्द से जल्द इन प्रोजेक्ट का फायदा मिले, ऐसी इस सरकार की जिम्मेदारी होगी।
राजनीतिक कारणों से पिछली उद्धव सरकार ने बुलेट ट्रेन परियोजना की समय सीमा 2023 से बढ़ाकर 2026 कर दी थी। नवंबर 2020 में इस परियोजना की समीक्षा के दौरान भी प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्धव ठाकरे से 30 अप्रैल 2021 तक इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के मसलों को हल करने को कहा था, लेकिन उद्धव सरकार ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया था कि हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर को पहले गुजरात में चालू किया जाए। यह परियोजना कब पूरी होगी और कितनी देरी हुई के सवाल जवाब में नैशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने जानकारी दी कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल मार्ग का निर्माण पूरा करने की समयसीमा महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में हुई देरी और कोविड-19 के असर के आकलन के बाद ही तय की जा सकेगी। यह जानकारी सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में दी गई है।
इस परियोजना को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है। मुंबई-अहमदाबाद परियोजना के लिए महाराष्ट्र में 432 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, लेकिन अब तक 312 हेक्टेयर भूमि का ही अधिग्रहण किया है। एनएचएसआरसीएल ने कहा कि परियोजना को पूरा करने के लिए साल 2023 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। रेल मार्ग को यात्रियों के लिए खोलने की समयसीमा कोविड-19 और उसकी रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के असर के अलावा महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण की गति को आंकने के बाद ही निर्धारित की जा सकेगी। वन्यजीव, तटीय विनियमन क्षेत्र और वन जैसे मुद्दों से जुड़ी वैधानिक मंजूरी प्राप्त हो चुकी है और 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना पर अब तक कुल 26,872 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सभी 297 गांवों का संयुक्त माप सर्वेक्षण (जेएमएस) पूरा कर लिया गया है। लगभग 1,396 हेक्टेयर की कुल आवश्यक भूमि में से 1,248 हेक्टेयर का अधिग्रहण किया जा चुका है। रास्ते में आने वाले कुल 1,651 प्रतिष्ठानों में से 1,506 को स्थानांतरित कर दिया गया है।
गुजरात, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव में 352 किलोमीटर की दूरी पर सिविल कार्य दिसंबर 2020 में शुरू हो चुका है। 508 किलोमीटर लंबे हाई-स्पीड रेल गलियारे में 12 स्टेशन होंगे, जिनमें मुंबई (बीकेसी), ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद/नाडियाड, अहमदाबाद और साबरमती शामिल है।