विस्तार के लिए कसमसा रही मुंबई की इच्छा जल्द ही पूरी होने वाली है। शहर के उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा में रीयल एस्टेट क्षेत्र के विकास के लिए जल्द ही 60 एकड़ अतिरिक्त जमीन उपलब्ध हो सकती है।
महाराष्ट्र सरकार कर्मचारी स्टॉफ क्वाटर्स के निवासियों ने सुझाव दिया है कि सरकार को 96 एकड़ जमीन पर फैली उनकी कालोनी का विकास करना चाहिए।निवासी संघ ने सरकार को बनाओ, चलाओ और सौंपो (बीओटी) के आधार पर जमीन का फिर से विकास करने का सुझाव दिया है।
प्रस्तावित योजना के मुताबिक पुनर्विकास योजना की अनुमानित लागत 1,686 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और इससे करीब 1,899 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। इस परिसर में उपनगरीय इलाकों के लिए सरकारी दफ्तारों का निर्माण करने का भी सुझाव दिया गया है।
महाराष्ट्र सरकार ने 1958-60 में एक कालोनी का निर्माण किया था। सरकारी क्वाटर्स आवासीय संघ के सलाहकार मधकर वीचारे ने बताया कि मौजूदा स्टॉफ को बहुमंजिला इमारतों में फिर से बसाने के लिए करीब 25 से 30 एकड़ जमीन की जरुरत होगी जबकि सरकार शेष जमीन का इस्तेमाल अन्य विकास परियोजनाओं के लिए कर सकती है। परियोजना से सरकार को अतिरिक्त आमदनी भी मिलेगी जबकि अभी सरकार मकानों के रखरखाव पर ही हर साल 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च कर देती है।
महाराष्ट्र सरकार के लोक निर्माण विभाग के सचिव डी बी देशपांडे से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि चूंकि अभी विधानसभा का सत्र चल रहा है इसलिए वह इस प्रस्ताव पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। मौजूदा सरकारी कॉलोनी में करीब 5,000 परिवार रहते हैं और यह पश्चिमी एक्सप्रेस हाईवे के करीब स्थित है। यह स्थान शहर के दूसरे सबसे बड़े व्यावसायिक केन्द्र के करीब है।
यदि इस परियोजना को मंजूरी मिलती है तो बांद्रा इलाके में रीयल एस्टेट के विकास के लिए बड़ा भूखंड हासिल हो सकेगा। इस क्षेत्र में हाल के दिनों में बड़े-बड़े कारपोरेट घराने तेजी से अपने ऑफिस बना रहे हैं।
उद्योग विशेषज्ञों के मुताबिक बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में रीयल एस्टेट की कीमतें पिछले तीन वर्षो के दौरान दोगुनी हो गई हैं। इस समय बांद्रा (पूर्व) में लक्जरी अपार्टमेंट्स की कीमत 30,000 से 40,000 वर्ग फीट के बीच है आवासीय दरें 14,000 रुपये प्रति वर्ग फीट तक पहुंच चुकी हैं।
बांद्रा कुर्ला कॉप्लेक्स में ऑफिस स्पेस की दरें भी काफी बढ़ चुकी हैं। कसमैन एंड वेकफील्ड के उप प्रबंध निदेशक संजय दत्ता ने बताया कि यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है और अतिरिक्त जमीन की उपलब्धता से इस क्षेत्र के विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विशेष मूल्यांकन संभव नहीं है क्योंकि यदि मंजूरी मिलती है तो परियोजना को साकार लेने में समय लगेगा।