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जमीन की मांगी भारी कीमत

Last Updated- December 07, 2022 | 12:44 PM IST

जमीन की कीमतों में तगड़ा उछाल आने की उम्मीदों के बीच लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (एलआईडीए) द्वारा अधिसूचित किए गए गांवों के किसानों ने अपने खेतों के लिए भारी कीमत की मांग शुरू कर दी है।


एलआईडीए की योजना लखनऊ- कानपुर हाईवे पर नोएडा की तर्ज पर एक माडर्न टाउनशिप तैयार करने की है जो मध्य उत्तर प्रदेश की औद्योगिक और वाणिज्यिक हालत को बेहतर बनाने में सहायक हो। किसान अपनी जमीनों के लिए प्रति बीघा 32 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं, जबकि इस सर्किल में लागू दर मुश्किल से 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये प्रति बीघा है।

इस कारण एलआईडीए के लिए जमीन अधिग्रहण की राह में एक बड़ी बाधा आ खड़ी हुई है। इस सिलसिले में लखनऊ के जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त समिति और किसानों के बीच तीन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। एलआईडीए परियोजना पहले चरण में 2000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करेगा। प्राधिकरण पहले ही गांवों की पहचान कर चुका है और अधिग्रहण के लिए कानूनी अधिसूचना जारी कर दी गई है। प्रस्तावित कॉरीडोर के लिए आरंभिक रिमोट सेंसिंग सर्वे पूरा हो चुका है और अधिग्रहित की जाने वाली जमीन की पहचान कर ली गई है।

इसबीच लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) अपने दायरे में 235 और गांवों को शामिल करने की योजना बना रही है। यदि ऐसा हुआ तो इनमें कुछ ऐसे गांव भी होंगे जिन्हें एलआईडीए पहले ही अधिसूचित कर चुकी है। इसलिए इन्हें गैर-अधिसूचित करना पड़ेगा। अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी विवेक वार्ष्णेय ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि, ‘हम पहले ही इस बारे में जानकारी के लिए एलडीए को पत्र लिख चुके हैं और हमें उनके जवाब का इंतजार है।’ एलआईडीए के लिए लखनऊ और उन्नाव के बीच कुल 83 गांवों का अधिग्रहण किया जाएगा।

इस बीच एलआईडीए का मास्टर प्लॉन अंतिम स्तर पर है और इसे औद्योगिक विभाग आयुक्त (आईडीसी) की अगली बैठक में पेश किया जाएगा। वार्ष्णेय ने बताया कि ‘हम किसानों को राजी करने और किसी समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जमीन अधिग्रहण का काम जल्दी पूरा किया जा सके।’ उन्होंने बताया कि इसके बाद किसानों और विस्थापित परिवारों के लिए पुनर्वास और कल्याणकारी योजनाएं लाई जाएंगी। जमीन अधिग्रहण के लिए आवसीय और शहरी विकास निगम लिमिटेड (एचयूडीसीओ) एलआईडीए को 75 करोड़ रुपये का कर्ज दे रहा है।

एलआईडीए ने करीब तीन साल पहले उत्तर प्रदेश में नोएडा के बाद दूसरा औद्योगिक विकास केंद्र तैयार करने की योजना बनाई थी। इस केंद्र का उद्देश्य उद्योगों को एक और विकल्प मुहैया कराना और संतुलित विकास को सुनिश्चित करना था। लखनऊ और कानपुर में आईटी हब तैयार होने की काफी संभावनाएं हैं। लखनऊ में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम-एल) और कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-के) के अलावा कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं।

इस वजह से इस क्षेत्र में अच्छे मानव संसाधन की कोई कमी नहीं होगी। इसके अलावा लखनऊ का अमौसी हवाई अड्डा देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और कुछ खाड़ी देशों के लिए भी उड़ान शुरू हो चुकी है। इस औद्योगिक क्षेत्र से चिकन, चमड़ा और गारमेंट्स क्षेत्र को नई जान मिलने की उम्मीद है। राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) ने  लखनऊ में अपनी शाखा खोलने की इच्छा जाहिर की है।

First Published - July 22, 2008 | 9:26 PM IST

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