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महाराष्ट्र पहुंचा हिजाब विवाद, सरकार ने की शांति बनाए रखने की अपील

Last Updated- December 11, 2022 | 9:20 PM IST

कर्नाटक में शुरू हुआ हिजाब विवाद का मुद्दा महाराष्ट्र तक आ पहुंचा है। राज्य के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ तो इस मुद्दे पर राजनेता भी आमने सामने खड़े हो गए। मुंबई के कई स्कूलों में हिजाब जैसे पहनावे पर पहले से ही रोक लगी हुई है। समर्थन और विरोध में शुरु हुई राजनीति बयानबाजी के बीच सरकार ने शांती बनाए रखने की अपील की है।
कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने पुणे में हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र के पुणे में फुलवडा इलाके में आयोजित प्रदर्शन में शामिल कई लड़कियों और महिलाओं ने तख्तियां थामी हुई थीं, जिन पर लिखा था, ‘हिजाब हमारा अधिकार है, हिजाब हमारा गौरव है। राकांपा की पुणे इकाई के अध्यक्ष जगताप ने आरोप लगाया कि भाजपा को स्कूलों और कॉलेजों को राजनीति से दूर रखना चाहिए। सपा कार्यकर्ताओं ने मुंबई के कई इलाकों में तो एआईएमआईएम ने भिवंड़ी व राज्य के अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन किया।
दरअसल मुंबई के भी कुछ स्कूल-कॉलेज में बुर्का, स्कार्फ और घूंघट पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिसके चलते यह विवाद मुंबई में भी फैलने की आशंका जताई जा रही है। एसएनडीटी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित माटुंगा इलाके में मौजूद एमएसपी शाह कॉलेज में पिछले कई सालों से इस तरह का प्रतिबंध लगा है। यह प्रतिबंध जुबानी तौर पर नहीं बल्कि कॉलेज की वेबसाइट पर दर्ज है। जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि आप बुर्का, दुपट्टा और घुंघट पहन कर कॉलेज परिसर में नहीं आ सकते हैं। अब यहां भी इसको हवा दी जा रही है। समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख कहा कि कॉलेज को इस तरह प्रतिबंध अपने कॉलेज के वेबसाइट से हटाना चाहिए। किसी भी कॉलेज को किसी धर्म के पहनावे पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह तुरंत हटाया जाना चाहिए वरना हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। इस संबंध में गृहमंत्री को भी पत्र लिख कार्रवाई की मांग की है।
कॉलेज की प्रिंसिपल लीना राजे ने बताया कि बीते वर्षों में लड़कियों के साथ छेड़खानी की घटनाएं सामने आई थी। जहां शरारती युवक चेहरा ढककर या बुर्का पहनकर कॉलेज परिसर में आकर छात्राओं के साथ छेड़खानी करते थे। इस घटना के बाद छात्राओं की सुरक्षा के लिहाज से हमने यह नियम बनाया था। इस नियम को बनाने के पीछे हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि छात्राओं का चेहरा एक-दूसरे को दिखता रहे ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना ना होने पाए। उन्होंने कहा कि इस नियम को वापस लेने के कोई आसार नहीं है क्योंकि हम किसी गलत मकसद से ऐसा नहीं कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने राजनीतिक दलों से अपील की, कि वे कर्नाटक में हिजाब पर उठे विवाद पर राजनीतिक लाभ के लिए शांति भंग करने या विरोध प्रदर्शन करने से बचें। उन्होंने कहा कि किसी अन्य राज्य में हुए घटनाक्रम पर शांति भंग करना या विरोध प्रदर्शन करना महाराष्ट्र के लोगों के हित में नहीं है। मैं सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से इस संबंध में सहयोग करने और शांति सुनिश्चित करने की अपील करता हूं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस करीब से नजर रख रही है और राज्य में स्थिति सामान्य रहे इसके लिए कदम उठा रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता पाटिल ने कहा कि जब कोई स्कूल या कॉलेज जाता है तो शिक्षा एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए और सभी को शैक्षणिक संस्थान के नियमों का पालन करना चाहिए।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि हमें ऐसी घटनाओं से बचना चाहिए जो समाज को और विभाजित कर सकती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग इसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति और संविधान हमें लोगों को जाति और धार्मिक आधार पर बांटना नहीं सिखाते। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हम सभी को उसी के हिसाब से रहना चाहिए।
महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस मुद्दे पर कहा कि ‘स्कूलों में जहां कहीं भी यूनिफॉर्म हो, उसके अलावा किसी और ड्रेस के लिए जगह नहीं होनी चाहिए । स्कूल और कॉलेज शिक्षा के केंद्र हैं, वहां सिर्फ शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी राजनीतिक, धार्मिक वस्तु की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए ।

First Published - February 10, 2022 | 11:15 PM IST

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