हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में अपनी जीत से आश्वस्त और उत्साहित होकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में लोकसभा चुनावों को लेकर अभी तक किसी भी घोषणा से बचती नजर आ रही है।
लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी ने जनता से न तो कोई वादा किया है और न ही कोई घोषणा की है। कारण साफ है, मंदी की मार, खाली होता खजाना और विधानसभा में आसानी से पूर्ण बहुमत।
विधानसभा चुनाव के लिए किए गए खास वादों पर प्रदेश की जनता की नजर लगी है। ये खास वादें हैं- छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करना, पिछले दो साल से बकाया वेतन का भुगतान,किसानों को 3 फीसदी ब्याज पर कर्ज, चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति और सिंचाई के लिए अलग फीडर।
इन वादों को पूरा करने के लिए मंदी के इस दौर में शिवराज सरकार की कमर टेढ़ी हो गई है। पिछले साल सितंबर से लेकर दिसंबर तक करों से होने वाली कमाई में काफी गिरावट आई है। राज्य की लगभग सभी बिजली परियोजनाएं कम बारिश के कारण दम तोड़ती नजर आ रही हैं।
छठे वेतनमान की सिफारिशों को पूरा करने और दो साल के बकाये का भुगतान कर पाना शिवराज सरकार के लिए टेढ़ी खीर ही साबित हो रहा है। इसीलिए पैंतरा बदलते हुए राज्य सरकार ने चौबीसों घंटे बिजली न दे पाने का ठीकरा केंद्र सरकार के सिर पर फोड़ा है।
इसके लिए पार्टी के दिग्गजों ने राज्य की महिलाओं को बुलाकर केंद्र सरकार से अपने झगड़े को बढ़ाने की तरजीह पर जोर दिया है और संकेत दिए हैं कि आने वाला लोकसभा चुनाव घोषणाओं और वादों पर नहीं बल्कि कोयले के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।
जनता से किए जाने वाले चुनावी वादों, घोषणाओं और योजनाओं को लेकर राज्य के पार्टी के मुखिया नरेंद्र सिंह तोमर भी मौन हैं। यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी चुनावों को लेकर क्या कवायद करने जा रही है? उन्होंने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के मुद्दे, वादे और घोषणाएं पार्टी की केंद्रीय समितियां तय करती हैं, राज्य इकाइयां नहीं। कुछ दिन में हमारा घोषणा पत्र आ जाएगा उसमें सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।’
भले ही भाजपा सरकार अपनी परेशानियों को केंद्र के पाले में डाले, पार्टी सूत्रों ने बताया, ‘प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के नेता लोकसभा चुनावों को लेकर उत्साहित नहीं हैं। कारण है विधानसभा में पूर्ण बहुमत।
इसके अलावा विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अभी तक लोकसभा चुनावों की तैयारी को लेकर भाजपा को कोई खास चुनौती देने वाली रणनीति नहीं तैयार की है। इसीलिए पार्टी अपनी सभी 29 सीटों को लेकर आश्वस्त है। ऐसे में शिवराज सरकार किसी नई घोषणा, नए वादे के बजाय मोर्चा खोलने पर जोर देगी।’
विधानसभा चुनाव में मिली जीत के खुमार में ही डूबी है राज्य सरकार
लोकसभा चुनाव में कोयले को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में भाजपा सरकार