उत्तराखंड के टिहरी में देश का पहला जलविद्युत इंजीनियरिंग कॉलेज खुलने जा रहा है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे शुक्रवार को राज्य के मुखमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की उपस्थिति में टिहरी जिले के डिबनू गांव में इस संस्थान की आधारशिला रखेंगे।
इस संस्थान को बनाने का जिम्मा टिहरी जलविद्युत विकास प्राधिकरण (टीएचडीसी) के पास होगा। टीएचडीसी केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एक साझा उपक्रम है जो फिलहाल 2,400 मेगावॉट की टिहरी जलविद्युत परियोजना पर काम कर रही है।
इस संस्थान में जलविद्युत इंजीनियरिंग और निर्माण में 4 वर्षीय डिग्री के साथ-साथ डिप्लोमा पाठयक्रम भी पढ़ाया जाएगा। टीएचडीसी के एक प्रवक्ता ने बताया कि संस्थान चार तरह के पाठयक्रम उपलब्ध कराएगा, जिसमें सिविल, इलेक्ट्रिकल और मेकैनिकल इंजीनियरिंग में चार वर्षीय बी-टेक पाठयक्रम भी शामिल है।
इस पाठयक्रम के लिए 50 सीटे होंगी। संस्थान अपने कर्मचारियों के लिए जलविद्युत इंजीनियरिंग का पाठयक्रम भी चलाएगा। जलविद्युत स्टेशनों को चलाने के लिए 6 से 8 महीनों का एक खास पाठयक्रम भी तैयार किया जाएगा।
यह पाठयक्रम ऐसे लोगों के लिए होगा जिन्होंने जलविद्युत क्षेत्र में हाल ही में अपने रोजगार की शुरुआत की है। इस संस्थान को बनाने के लिए टीएचडीसी शुरुआती चरण में 15 करोड़ रुपये खर्च करेगा।