भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) में पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्रों को अब अधिक फीस चुकानी पड़ेगी।
संस्थान ने 2010-11 बैच के प्रबंधन में स्नातकोत्तर पाठयक्रम (पीजीपीएम) के लिए फीस एक लाख रुपये बढ़ा दी है। संस्थान के निदेशक समीर बरूआ ने कहा कि पिछले साल वर्ष 2008-09 और 2009-10 के लिए पीजीपीएम पाठयक्रम की फीस क्रमश: 5.5 लाख रुपये और 6.0 लाख रुपये रखने का निर्णय लिया गया था।
जो छात्र 2010-11 में दूसरा वर्ष पूरा कर रहे हैं उन्हें 6.5 लाख रुपये चुकाने होंगे। संस्थान के संचालन बोर्ड ने रविवार को यह निर्णय लिया कि इस बार के नए बैच से 6 लाख रुपये का शुल्क ही वसूला जाएगा। आईआईएम अहमदाबाद के बोर्ड ऑफ गवर्नर की बैठक के बाद बरुआ ने यह जानकारी दी।
2008-10 बैच को पहले वर्ष में 5.5 लाख रुपये और दूसरे वर्ष में 6 लाख रुपये देने पड़ते थे, यानी कि कुल 11.5 लाख रुपये। पर 2010-11 बैच के छात्रों को कुल 12.5 लाख रुपये फीस देनी पड़ेगी।
बरूआ ने साफ किया कि पिछले साल शुरू की गई शुल्क में छूट संबंधी योजना इस साल भी जारी रहेगी। पिछले साल 21 छात्र ऐसे थे जिन्हें पाठयक्रम के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ा। फीस बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समय के साथ शिक्षण समेत अन्य लागत में बढ़ोतरी हो रही है। लागत में बढ़ोतरी के कारण हर साल शुल्क की समीक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय भी समय समय पर अपने तकनीकों ओर पाठयक्रमों की समीक्षा करता रहता है और उनके साथ प्रतिस्पद्र्धा बनाए रखने के लिए उन्हें भी बदलाव लाते रहने की जरूरत है। क्या आगे भी निश्चित समय अंतराल पर इसी तरीके से फीस बढ़ाई जाती रहेगी, इस बारे में पूछने पर बरूआ ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले वर्ष में हालात कैसे रहते हैं।
औसत शुल्क संग्रह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस साल ओबीसी कोटा पिछले साल के 6 फीसदी से बढ़ाकर 13 फीसदी किया जाएगा और इस तरह औसत शुल्क संग्रह घटेगा। उन्होंने कहा, ‘ओबीसी उस वर्ग के तहत आवेदन करते हैं जिनकी आय सालाना 4.5 लाख रुपये से कम होती है। इस तरह काफी संख्या में ओबीसी छात्र शुल्क रहित योजना के हकदार होंगे।’
आईआईएम अहमदाबाद के बोर्ड ऑफ गवर्नर के अध्यक्ष विजयपथ सिंघानिया ने कहा कि शुल्क बढ़ाने के बाद भी हमारे काफी खर्च की भरपाई नहीं हो पाएगी जिसे हम अपने फंड से पूरा करेंगे।