कानपुर में पाइरेटेड फिल्मों और सॉफ्टवेयर का कारोबार काफी तेजी से फल-फूल रहा है। इस धंधे से जुड़े लोग बाजार से प्रतिदिन लाखों रुपये बटोर रहे हैं।
मनोरंजन कर विभाग और शहर के पुलिस विभाग द्वारा विभिन्न ठिकानों पर छापे मारने के बावजूद यह रैकेट अपना काम सफाई से किए जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में हर दिन कम से कम पांच लाख पाइरेटेड कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) बनाई जा रही है।
अपने काम को अंजाम देने के लिए नकलची सबसे पहले लखनऊ से मूल सीडी व डीवीडी की खरीदारी करते हैं तथा उसके बाद उन फिल्मों और सॉफ्टवेयरों को लाखों पाइरेटेड सीडी में तब्दील कर देते हैं। सच्चाई यह भी है कि इन धंधों में लिप्त नकलची अधिकृत निर्माताओं के मुनाफे में सेंध लगा कर लाखों की कमाई कर रहे हैं।
मनोरंजन कर उपायुक्त राम सवारे ने बताया, ‘पिछले साल हम लोगों ने पाइरेसी के धंधे में शामिल 17 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें से 12 लोगों को सजा दी गई थी। इस साल भी हमने 25 से भी अधिक लोगों को पकड़ा है और उनके सिस्टम को ठप कर दिया है।’ शहर में हालांकि, नकली सामग्री के निर्माताओं का नेटवर्क अभी भी भली-भांति स्थापित है और सरकारी अमला किसी भी बड़े रैकेट को धर दबोचने में नाकाम रहा है। इस गोरख धंधे को चलाने के लिए नकलचियों को बहुत कम उपकरणों की जरूरत पड़ती है।
मसलन, नकलचियों के पास कुछ सिस्टम (पीसी) होते हैं, जिनमें सीडी या डीवीडी राइटर लगा होता है। इससे वे आसानी से पाइरेटेड सीडी का निर्माण करते हैं। थोड़े से निवेश के साथ तेजी से पैसे बनाने की चाह की वजह से कई लोग इस गोरख धंधे से जुड़ गए हैं। इस कारोबार में करीब दस ऐसे बड़े खिलाड़ी हैं, जो बड़े पैमाने पर पाइरेटेड सामग्री का उत्पादन कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक दस सिस्टमों (पीसी) से हर एक मिनट में 70 से भी अधिक पाइरेटेड सीडी बनाई जा सकती है। हरेक सिस्टम दो मिनट में सात पाइरेटेड सीडी का निर्माण करती है।
सॉफ्टवेयर और मनोरंजन कंपनियां पहले से ही पाइरेसी कारोबार को लेकर बेहद चिंतित हैं। एक सॉफ्टवेयर कंपनी के मुख्य आईटी प्रबंधक अखिल गुप्ता ने बताया, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था सॉफ्टेवयर इंडस्ट्री पर बहुत ज्यादा भरोसा करती है और जैसे-जैसे हम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते जा रहे हैं, तो ऐसे में ज्ञान की सुरक्षा किया जाना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है।’ भारत में एडोब सिस्टम्स के चैनल एकाउंट मैनेजर संदीप मलहोत्रा ने बताया, ‘अगर देश में सॉफ्टवेयर पाइरेसी पर नकेल नहीं कसी गई, तो उस देश में किए जा रहे निवेश पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।’