वैश्विक आर्थिक मंदी का असर हिमाचल के औद्योगिक निवेश पर भी दिखने लगा है। राज्य में पिछले कुछ महीनों के दौरान निवेश में भारी गिरावट आई है।
राज्य उद्योग विभाग के अधिकारियों से मिली सूचना के मुताबिक बीते साल अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक राज्य की एकमुश्त मंजूरी समिति ने महज 409 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी। जबकि इससे पहले अगस्त और सितंबर, 2008 के दौरान 3,095 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी।
वर्ष 2008 के पहले 9 महीनों के दौरान 7,546 करोड़ रुपये का निवेश आया। यह आकड़ा छह साल पहले घोषित किए गए औद्योगिक पैकेज के बाद से सर्वाधिक है।
हालांकि 2008 की अंतिम तिमाही के दौरान निवेश की राशि में तेजी से गिरावट देखने को मिली। केन्द्र सरकार ने पर्वतीय राज्यों के लिए 2003 में राहत पैकेज की घोषणा की थी और अब तक राज्य सरकार 30,000 करोड़ रुपये का निवेश जुटाने में कामयाब रही है।
इसमें से ज्यादातर निवेश बद्दी, बोरातीवाला और नालागढ़ औद्योगिक पट्टी में आया है। बद्दी-बोरातीवाला और नालागढ़ औद्योगिक संघ के महासचिव अरुण रावत ने बताया कि ‘आर्थिक मंदी और उत्पाद शुल्क छूट खत्म होने की तारीख नजदीक आने के कारण निवेश घटा है।’
राज्य के उद्योग विभाग में औद्योगिक सलाहकार राजेंद्र चौहान ने भी कुछ ऐसी ही बात कही। राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि केन्द्रीय राहत पैकेज को 2010 से बढ़ाकर 2013 तक कर दिया जाए। हालांकि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा इस मांग का विरोध कर रहे हैं।