एशिया का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर में कभी धुंआ उगलती कपड़ा मिलें तो कब की बंद हो चुकीं पर शहर अपने चमड़े, होजरी, रेडीमेड कपड़ों व अन्य उद्योगों के दम पर चमकता रहा है।
कोरोना संकट और लंबे चले लॉकडाउन से उबर कानपुर अपनी फिर अपनी रफ्तार पकडऩे को बेकररार है पर बंद या आंशिक रूप से चलने वाले कारखानों व सन्नाटे में पड़ी बाजारों ने उद्यमियों को उदास कर रखा है। महामारी के दौर में अपने घरों को लौट गए मजदूरों की अभी वापसी नहीं हुई है और कुछ एक उद्योगों को छोड़ बाकी में ऑर्डर नहीं हैं। बाजारों में बाहरी जिलों व सूबों से आने वाले व्यापारी नदारद हैं तो स्थानीय लोग भी हाथ सिकोड़ कर खर्च कर रहे हैं। सहालग भर की बंदी झेलने के बाद प्रदेश में कपड़ों के सबसे बड़े थोक बाजार जनरलगंज में सोमवार दोपहर सुई पटक सन्नाटा दिखा तो किनारे व अन्य सामानों की बाजार नवीन मार्केट से लेकर बड़े शोरुमों वाली पीपीएन बाजार में ज्यादातर दुकानें बंद मिलीं।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सदस्य व कानपुर के प्रमुख व्यवसायी बलराम नरुला बताते हैं कि अनलॉक के बाद बाजार को रफ्तार पकडऩे में समय तो लगेगा पर काफी काम शुरू हो चुका है। बाहर चले गए मजदूर तो नहीं लौटे हैं पर स्थानीय लोगों के जरिये कारखानों में भी काम होने लगा है। जनरलगंज बाजार में मौजूद कपड़ा स्टोर के सुनील अवस्थी का कहना है कि सहालग, ईद के मौके पर होने वाली बिक्री मारी गई है और अब महामारी के डर से न तो बाहर के और न हीं स्थानीय खरीदार बाजार में दिख रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना संकट के चलते लोगों की खरीद पर भी अंकुश लगा है। अब लोग बस जरूरत भर की खरीदारी ही कर रहे हैं। बाहर के शहरों से जो व्यापारी आते थे वह भी कुछ तो महामारी के डर से और कुछ धंधा मंदा होने की वजह से नहीं आ रहे हैं। कानपुर का बाजार 70 फीसदी बाहर से आने वाले व्यापारियों के दम पर है और उनकी आमद न के बराबर है। कानपुर शहर की अलग-अलग थोक व खुदरा बाजारों से हर रोज 700 से 900 करोड़ का धंधा होता रहा है पर इन दिनों ये बामुश्कल 200 करोड़ रुपये भी नहीं रह गया है।
नवीन मार्केट में क्राकरी स्टोर के राजीव शर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश के बाकी शहरों के मुकाबले कानपुर में कोरोना की स्थिति कुछ ज्यादा ही गंभीर है। बाजार खुलने को लेकर तमाम प्रतिबंध हैं तो लोगों के बाहर निकलने को लेकर भी। बाहरी लोग शहर में महामारी के प्रकोप के चलते नहीं आ रहे हैं। नवीन मार्केट में ज्यादातर साफ सफाई के सामान सैनिटाइजर वगैरा की ही बिक्री होते दिखी।
कानपुर के जिलाधिकारी डॉ ब्रह्मदेव तिवारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि महामारी पर काफी हद तक अब काबू पा लिया गया है। बाजारों को काफी हद तक खोल दिया गया है और कारोबार फिर से पटरी पर आ रहा है। उनका कहना है कि ज्यादातर छोटे व मझोले उद्योगों में काम शुरू हो गया है। डॉ तिवारी के मुताबिक बाहर के मजदूरों की भी थोड़ी बहुत ही सही पर वापसी शुरू होने लगी है।