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वेतन आयोग पर महंगाई पड़ी भारी

Last Updated- December 07, 2022 | 3:03 PM IST

केन्द्र सरकार के 45 लाख कर्मचारियों को इस खबर से निराशा हो सकती है लेकिन सच यह है कि सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को एक या दो वर्ष के लिए टालने पर विचार रही है।


सिफारिशों के तहत कर्मचारियों के वेतन में औसतन 28 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव है। वित्तीय भार से बचने के लिए सरकार चुनावी साल में ऐसा कड़ा कदम उठाने पर मजबूर है। न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाले वेतन आयोग ने इस साल मार्च में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया है कि सरकार के वित्तीय हालत को देखते हुए सिफारिशों को दो साल आगे बढ़ाकर 1 जनवरी 2008 से लागू किया जा सकता है। हालांकि अंतरिम अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को इसमें राहत दी जा सकती है। केन्द्र सरकार की सेवा में निचले दर्जे के कर्मचारियों को भी कुछ राहत दी जा सकती है हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह राहत कैसी होगी।

उल्लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों में सबसे अधिक संख्या इन कर्मचारियों की ही है। वेतन आयोग ने नए वेतनमान को 1 जनवरी 2006 से लागू करने की सिफारिश की थी। यदि नई सिफारिशों को हूबहू लागू कर दिया गया तो इससे वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान सरकारी खजाने पर 7,975 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। बकाया राशि का भुगतान किश्तों में किया जाए ताकि वित्तीय भार को कम किया जा सके।

रिपोर्ट के दाखिल होने से पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि 2008-09 के दौरान सिफारिशों का असर सकल घरेलू उत्पाद के 0.4 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। दूसरे विशेषज्ञों का कहना था कि असर जीडीपी के 0.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। वित्त वर्ष 2008-09 के बजट में वित्त मंत्रालय ने 2.5 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का अनुमान व्यक्त किया था जो वित्तीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन कानून, 2003 के अनुसार है।

First Published - August 5, 2008 | 9:54 PM IST

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