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छोटे-मंझोले उद्यमियों पर महंगाई की मार

Last Updated- December 05, 2022 | 4:33 PM IST

स्टील, केमिकल और अन्य कच्चे मालों की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से राज्य के उद्यमी खासे चिंतित हैं और इस बारे में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने को कहा हहै, जिससे उनको कुछ राहत मिल सके।


तीसरी तिमाही से चालू तिमाही तक स्टील की कीमतों में तकरीबन 35 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है।


 छोटे और मझोले उद्योगों के होने की वजह से स्टील, कोयला आदि की कीमत बढ़ने से उन्हें खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे निर्यातक भी खासे परेशान हैं।


दरअसल, ये उद्यमी उन्हें सामन की आपूर्ति करके देने में सक्षम साबित नहीं हो रहे हैं।


चेंबर के उपाध्यक्ष एके कोहली ने बताया कि राज्य के उद्यमी अपने कच्चे मोलों की कीमत बढने की वजह से बने माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं, जिसका उन्होंने पहले करार किया था।


सबसे ज्यादा हल्के इंजीनियरिंग उद्योगों से जुड़े कारोबारी और निर्यातकों को समस्या हो रही है।


डीजल इंजन पंप, कृषि मशीननरी आदि बनाने वाले उद्यमों को भी समस्या झेलनी पड़ रही है।


सीमा पर स्थित पंजाब में कच्चे माल और बंदरगाह से काफी दूर है, ऐसे में यहां तक माल लाने-ले जाने में भी ज्यादा खर्च आता है।


यही नहीं, हिमालच और जम्मू की तरह यहां उद्यमियों को कर में भी छूट का कोई प्रावधान नहीं है और न ही सस्ती दरों पर बिजली ही उपलब्ध होती है। ऐसे में उद्यमियों को महंगाई के कारण दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।


सरकार ने सीमा शुल्क को 16 फीसदी से घटाकर 14 फीसदी कर दिया है और लोहा एंव स्टील स्क्रैप के उत्पाद शुल्क को 5 फीसदी से शून्य कर दिया है, लेकिन स्टील उत्पादकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।


सच तो यह है कि स्टील की मांग 13 फीसदी की दर से बढ़ रही है, जबकि इसका उत्पादन 6 फीसदी की दर से हो रहा है।
ऐसे में उद्यमियों व निर्यातकों का कहना है कि सरकार को कदम उठाना चाहिए।


नहीं तो उद्यमियों को भारी नुकसान हो सकता है। सरकार को लौह अयस्क के निर्यात पर 25 फीसदी का कर लगाना चाहिए।


अगर ऐसा नहीं हुआ, तो स्टील की कीमतें बढ़ती जाएंगी और देश के छोटे-छोटे उद्यमियों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा, वहीं निर्यातकों को भी खासा नुकसान होने का खतरा है।


पंजाब चेंबर ऑफ स्मॉल एक्सपोर्टर ने केंद्र सरकार से अपील की है कि स्टील की कीमतों पर अंकुश लगगाया जाए।


 इसके साथ ही साथ रेलवे और समुद्री बंदरगाहों से सामना को लाने-ले जाने में 50 फीसदी की छूट दी जाए। इसके साथ ही एसएमई को बैंकों से 9 फीसदी की दर पर लोन उपलब्ध कराए जाएं।

First Published - March 13, 2008 | 6:33 PM IST

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