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निवेश पर निगाहें

Last Updated- December 11, 2022 | 12:02 AM IST

औद्योगिक विकास के लिए छटपटाते बिहार में पिछले तीन सालों के दौरान 91 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की मंजूरी दी गयी है।
विश्वव्यापी मंदी के दौर में भी पिछले दो सालों के दौरान यहां विभिन्न क्षेत्रों में करीब 1500 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है। यह निवेश मुख्य रूप से छोटे एवं मझोले उद्योगों में हुआ है।
हालांकि निवेश की कतार में अभी स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया (सेल) से लेकर अंबूजा सीमेंट तक खड़ी हैं। पार्ले जी बिहार में बिस्कुट बनाने को तैयार है तो कई नामी-गिरामी कंपनियां बिहार को ऊर्जाशील बनाने के लिए बिजली संयंत्र लगाने के लिए सरकार की मंजूरी ले चुकी हैं।
वहीं सरकारी स्तर पर समस्तीपुर स्थित रामेश्वर जूट मिल तो डुमरांव टेक्सटाइल जैसी बीमार पड़ी औद्योगिक इकाइयों को फिर से चंगा कर दिया गया है। वर्ष 2008-09 के फरवरी माह तक निवेश के कुल 173 प्रस्तावों को बिहार निवेश प्रोत्साहन बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी थी। इनमें से करीब 20 योजनाओं के काम पूरे हो चुके हैं और वहां उत्पादन कार्य भी शुरू हो चुका है।
एक उत्पादन के लिए तैयार हैं तो 22 हजार करोड़ रुपये के निवेश के साथ तकरीबन 50 योजनाओं के लिए काम जारी है। बिहार के उद्योग विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सबसे अधिक निवेश की मंजूरी बिजली निर्माण के क्षेत्र में दी गयी है।
इनमें मुख्य रूप से बक्सर एवं लखीसराय में क्रमश: 6795 व 6710 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 1320-1320 मेगावाट बिजली कोयले से तैयार करने की योजना है। सरकार ने बायोमास के जरिए मुंबई स्थित बेरमाको ग्रीन एनर्जी सिस्टम की 300 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 1254 करोड़ रुपये की परियोजना को भी हरी झंडी दे दी है।
इसके अलावा बायोमास के जरिए बिहार के 11 जिलों में 12-12 मेगावाट के बिजली संयंत्र लगाने के लिए 560 करोड़ रुपये की योजना को गत फरवरी माह में उद्योग विभाग की मंजूरी मिल गयी। इसके अलावा 15 से अधिक सरकारी स्वीकृति प्राप्त बिजली परियोजना पाइप लाइन में है।
बिहार के एक अधिकारी के मुताबिक मंजूर की गयी सभी बिजली परियोजनाओं को अमली जामा पहना दिया गया तो  आने वाले समय में बिहार पड़ोसी राज्यों को भी बिजली की आपूर्ति कर सकता है। बिहार में मुख्य रूप से लघु उद्योग है और दिसंबर, 2008 तक यहां कुल 1,74,278 स्थायी निबंधित लघु इकाइयां थीं।
इनमें से 1,502 लघु इकाइयां, 1,02,676 अति लघु इकाइयां तो 70,100 कारीगर आधारित इकाइयां थीं। इन इकाइयों में 5.6 लाख श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है।
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केपी झुनझुनवाला कहते हैं, ‘8 करोड़ की आबादी वाले बिहार के बाजार में कारोबार की असीम संभावनाएं हैं। तभी तो हिन्दुस्तान लीवर जैसी कंपनी हाजीपुर में अपनी फ्रेंचाइजी की शुरुआत की है। तो सेकेंडरी स्टील के कई कारखाने बहुत जल्द अपना उत्पादन शुरू करने वाले हैं। लघु स्तर की पैकेजिंग इकाइयां भी लगातार खुल रही हैं।’

First Published - April 11, 2009 | 5:24 PM IST

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