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आईटी बाबू बता रहे हैं कैसे होता है चुनाव प्रचार

Last Updated- December 11, 2022 | 1:36 AM IST

आम आदमी के साथ, रीता बहुगुणा का हाथ। जनता की आवाज परिवर्तन, युवा की हुंकार परिवर्तन।
ये दरअसल पोस्टरों पर लिखी इबारतें नहीं हैं बल्कि ये तो उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के मोबाइल फोन पर आ रहे एसएमएस हैं। देश के सबसे बड़े सूबे में अभी चार चरणों में 64 सीटों पर चुनाव होने बाकी हैं और राजनीतिक दल इंटरनेट और मोबाइल के जरिए एक दूसरे को मात देने में जुट गए हैं।
पहले चरण में गुरुवार को जिन 16 सीटों पर मतदान हुआ था वहां तो यह लड़ाई केवल मोबाइल फोन तक सीमित रही। कारण ज्यादातर इलाके ग्रामीण थे और नेट की पहुंच कम थी। पर आने वाले चरणों में लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद, इलाहाबाद जैसे शहरों में चुनाव होने हैं जहां इंटरनेट से भी प्रचार पर जोर रहेगा।
पार्टियों ने चुनाव की किस कदर तैयारी की है इसकी एक बानगी लखनऊ से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अखिलेश दास हैं जिनकी योजना 4.5 लाख मतदाताओं से सीधे मोबाइल पर बात कर खुद को वोट देने की अपील करने की है। इससे पहले भी दास ऐसा अपने क्षेत्र के लोगों को होली और दीवाली की शुभकामनाएं देने के लिए कर चुके हैं।
बसपा के लोगों का कहना है कि दास के खेमे की ओर से एक खास मोबाइल नंबर से होली में कई लाख लोगों को एसएमएस भेजे गए थे।  इधर, चुनाव की घोषणा से करीब दो महीने पहले ही सक्रिय कर दिए गए भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल ने बखूबी काम करना एक महीने पहले से चालू कर दिया था।
टीम भाजपा के नाम से मशहूर 69 पेशेवरों की यह सेना इन दिनों रोज नए नारे और एसएमएस गढ़ रही है। खास तो यह है कि नारे और एसएमएस बनाते वक्त क्षेत्र विशेष का खास ध्यान रखा जा रहा है। पूणे के आईटी इंजीनियरों की एक टीम को भाजपा के लिए कंटेंट जुटाने का काम सौंपा गया है। इन गतिविधियों में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी पीछे नहीं है।
 हर दिन ‘वॉर रुम’ में नयी योजनाएं बनायी जा रही हैं ताकि प्रचार को प्रभावी बनाया जा सके। भाजपा की युवा इकाई के बताया कि कई नौजवान प्रबंधन के छात्रों और आईटी पेशेवरों ने खुद ही अपनी सेवाएं पार्टी को देने की पेशकश की है। उनका कहना है कि ये नौजवान रात-दिन भाजपा के प्रचार को गति देने का काम कर रहे हैं।
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अजय कुमार सिंह का कहना है कि प्रचार से वॉल राइटिंग, पोस्टर और बैनर गायब हो गए हैं और इनकी जगह तेजी से वेबसाइट और मोबाइल ले रहे हैं। हालांकि उन्होंने माना कि अभी हाइटेक प्रचार केवल शहरों तक सीमित है। वह यह भी मानते हैं कि परंपरागत साधनों के मुकाबले चुनाव प्रचार के ये हाईटेक तरीके लोगों को ज्यादा लुभा रहे हैं।
भारत संचार निगम के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक किसी पार्टी ने विशेष तौर पर एसएमएस की सेवाएं तो नहीं ली हैं पर किसी व्यावसायिक एसएमएस के लिए 18 पैसे चार्ज की जाती अगर उसे 25 लाख से ज्यादा लोगों को भेजा जाए।

First Published - April 21, 2009 | 8:18 AM IST

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