प्रदूषण संबंधी चिंताओं को दूर करने और ठोस कूड़े-कचरों का निपटान करने के लिए कोलकाता नगर निगम (केएमसी) और पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्लूबीपीसीबी) एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रहे हैं।
ये दोनों निकाय ठोस कचरे से बिजली उत्पादन की योजना पर काम कर रहे हैं। कोलकाता की विभिन्न चिंताओं पर विचार-विमर्श के लिए शहर की गैर सरकारी संगठनों द्वारा आयोजित की गई एक बैठक में कोलकाता नगर निगम में पर्यावरण के लिए बनाई गई महापौर परिषद के सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि केएमसी के पास निजी उद्यमियों के प्रस्ताव आएं हैं।
उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव करीब 3,200 टन ठोस कचरों से शहर में प्रतिदिन 54 मेगावाट बिजली की उत्पादन संबंधी परियोजना के लिए आया है। शर्मा ने बताया कि परियोजना अपनी प्रारंभिक अवस्था में ही है। शर्मा ने बताया कि इस परियोजना के लिए लगभग 30 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी और नगर निगमों के सदस्यों द्वारा अंतिम फैसला लिए जाने के बाद वैश्विक निविदाओं का आमंत्रण भी शुरू कर दिया जाएगा। इस वक्त निकायों के सामने सबसे बड़ी समस्या कचरे को ही लेकर है।
कूड़े-कचरे के निपटान के लिए शहर में जल्द ही 102 एकड़ जमीन मुहैया करानी होगी। केएमसी और डब्लूबीपीसीबी 40 माइक्रोन से पतले प्लास्टिक बैंगों के इस्तेमाल के बिल्कुल खिलाफ हैं। जहां एक ओर राज्य के विनिर्माण इकाइयों ने पतले प्लास्टिक बैग बनाने बंद कर दिए हैं वहीं दूसरी ओर पड़ोसी राज्यों से पतले प्लास्टिक बैग पश्चिम बंगाल में लाए जा रहे हैं।
फैलेगा उजियारा
कोलकाता में हर रोज निकलने वाले 3,200 टन ठोस कचरे से होगा 54 मेगावाट बिजली का उत्पादन