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हिमाचल में दवा बनाई, गुजरात में मुश्किल आई

Last Updated- December 07, 2022 | 1:05 AM IST

जिन दवा कंपनियों की हिमाचल प्रदेश में उत्पादन इकाइयां हैं, गुजरात में उनकी सेहत ठीकठाक नहीं दिख रही हैं।


गुजरात सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ कानूनी मामला दायर किया है। मामला कुछ इस तरह है कि इन कंपनियों की हिमाचल प्रदेश के बद्दी में उत्पादन इकाइयां हैं। इन कंपनियों पर आरोप है कि बद्दी की इकाइयों से ये दोयम दर्जे की दवाइयां बना रही हैं।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इन कंपनियों को इकाई लगाने के लिए कर में छूट मिली हुई है। जिसके चलते इन कंपनियों ने इस इस पहाड़ी प्रदेश का रुख किया है। गुजरात के खाद्य एवं दवा विभाग ने 2007-08 में गुजरात से 2,349 नमूने इकट्ठे किए हैं और वडोदरा की प्रयोगशाला में इन नमूनों का परीक्षण किया गया।

इन नमूनों में 2,025 नमूने ठीक पाए गए जबकि 324 नमूने गुणवत्ता के पैमाने पर खरे नहीं उतर पाए। इस तरह कुल उत्पादन में घटिया उत्पादों का अनुपात 13.79 फीसदी तक पहुंच गया। दूसरी ओर इस प्रयोगशाला में हिमाचल प्रदेश के बद्दी से 245 नमूने लिए गए जिनमें से 190 ठीक पाए गए जबकि 55 नमूने घटिया किस्म के पाए गए। इस तरह यहां पर बनने वाली दवाओं में घटिया दर्जे की दवाइयों का अनुपात 22.45 फीसदी हो गया।

इसी तरह 2006-07 में कुल 2,955 नमूनों का परीक्षण किया गया। इनमें से 2,570 तो गुजरात से लिए गए जिनमें से 385 नमूनों में कमी पाई गई। इस तरह उस साल क्वालिटी में 13.03 फीसदी की गिरावट आई। इसके उलट हिमाचल में बनी दवाओं में से 125 नमूने लिए गए जिनमें से 95 नमूने सही पाए गए तो 30 नमूनों की क्वालिटी का स्तर बहुत ही खराब पाया गया। इस तरह हिमाचल में बनी दवाओं की क्वालिटी में लगभग 24 फीसदी की कमी  पाई गई।

First Published - May 23, 2008 | 10:49 PM IST

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