भले ही उद्योग जगत मंदी के दौर से गुजर रहा हो या फिर निर्यात में सुस्ती छाई हो लेकिन इसके बावजूद पंजाब सरकार को उम्मीद है कि वह इस वैश्विक आर्थिक मंदी का सामना करने में सक्षम है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की संवाददाता कोमल अमित गेरा से बातचीत के दौरान राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बताया कि बाजार की ताकतें खुद इस प्रणाली को संतुलित करेंगी।
पंजाब के कृषि क्षेत्र की मजबूती का हवाला देते हुए उन्होंने राज्य की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। बातचीत के कुछ अंश:
वैश्विक आर्थिक मंदी का पंजाब की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव देखने को मिल सकता है?
हमें नहीं लगता है कि आर्थिक मंदी का बहुत प्रतिकूल असर पंजाब की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
अगर हम पिछले दो साल की बात करें तो यहां का मौसम बहुत ही अनुकूल रहा है और यहां के ज्यादातर लोग कृषि पर काफी निर्भर हैं इसलिए हमें नहीं लगता है कि यहां कोई वित्तीय उथलपुथल की आशंका है।
मंदी के इस आलम में कृषि किस तरह किसानों की आय को बनाए रख सकती है?
बीते दो सालों में पंजाब में बारिश काफी अच्छी हुई है जिसकी वजह से गेहूं और धान की रिकार्ड पैदावार दर्ज की गई है।
इन दो मुख्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन भी किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित हुआ है। किसान पिछले साल अतिरिक्त 7,000 करोड़ रुपये अर्जित करने में सक्षम रहे।
अगले साल कृषि क्षेत्र में कितने विकास की उम्मीद करते हैं?
अगर मौसम इसी तरह अनुकूल बना रहा तो इस बात की पूरी संभावना है। अगले साल कृषि में 6 फीसदी से अधिक की वृध्दि दर्ज की जाएगी।
क्या आपको ऐसा लगता है कि मौजूदा आर्थिक मंदी की वजह से वैट संग्रहण में किसी तरह की कोई कमी आई है?
अगर पिछले साल से तुलना करें तो वैट संग्रहण में वृध्दि दर्ज की गई है। इस साल के शुरुआती पांच महीनों में वैट संग्रहण में 35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
हालांकि सितंबर महीने में मंदी के शुरू होने के बाद वैट संग्रहण में 15 फीसदी कमी देखने को मिली है।
वैट संग्रहण में हुए कमी के लिए क्या कोई रणनीति तैयार की है?
औद्योगिक उत्पादन से राजस्व में हुई कमी को खाद्यान्न उत्पादन से पाटा जाएगा। खाद्यान्न की खरीदारी प्रक्रिया से कर संग्रहण करके इसकी क्षतिपूर्ति की जाएगी।
मौजूदा मंदी में पंजाब के निर्यात और विनिर्माण व्यापार को लेकर काफी आशंकित हैं। उनके लिए किसी तरह का कोई प्रस्ताव है?
मैं राज्य के उद्योग से जुड़े लोगों के लगातार संपर्क में हूं।
वे बहुत ज्यादा चिंतित नहीं हैं। कृषि में निरंतर बढ़ती आय मांग को बनाए रखेगी और घरेलू मांग उनकी क्षमताओं के उपयोग में मदद करेगी।
मौजूदा हालात में आप सरकारी खर्चों में किसी तरह की कोई कटौती करने की सोच रहे हैं?
यहां सरकारी खर्चे बहुत ज्यादा नहीं हैं। राज्य के खर्च का करीब 73 फीसदी हिस्सा वार्षिक राज्य बजट, पेंशन, वेतन और ब्याज भुगतान पर खर्च किया जाता है।
इस छोटी सी अवधि के लिए इन्हें नए सिरे से तय नहीं किया जा सकता है।
आपसे इस साल किस तरह की बजट की उम्मीद करें?
बजट मुख्य रूप से वेतन आयोग की रिपोर्ट और भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर आधारित होगा।