पीपीपी मॉडल पर भारी गतिरोध का सामना करने के बाद उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल), एक बड़े नीतिगत फैसले के तहत पुरानी जलविद्युत परियोजनाओं के आधुनिकीकरण और उनके नवीनीकरण के लिए जर्मनी से ऋण लेगी।
निगम को जर्मनी की वित्तीय संस्थान केएफडब्लू से 10 करोड़ यूरो का आसान कर्ज मिलेगा। इस कर्ज के जरिए निगम गढ़वाल क्षेत्र में 6 जलविद्युत परियोजनाओं का आधुनिकीकरण और उनका नवीनीकरण करेगी। इन परियोजनाओं के लिए वृहत परियोजना रिपोर्ट तैयार (डीपीआर) करने के लिए केएफडब्लू की ओर से जल विद्युत निगम को 33 लाख रुपये का अतिरिक्त अनुदान मिलेगा।
यूजेवीएनएल के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि यह ऋण 1.95 फीसदी की ब्याज दर पर मिल रहा है। प्रसाद ने कहा कि इन परियोजनाओं के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के लिए पीपीपी मॉडल नहीं अपनाया जा रहा है।
ठीक इसी तरह, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) मोहम्मदपुर (9.3 मेगावॉट) और पाथरी (20.4 मेगावॉट) जलविद्युत परियोजनाओं के आधुनिकीरण के लिए 50 करोड़ रुपये कर्ज देने को सहमत हो गई है।
दरअसल, राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं को पीपीपी मॉडल के अंतर्गत देने के लिए यूजेवीएनएल और कुछ कांग्रेस के नेताओं ने राज्य सरकार की काफी आलोचना की थी। पिछले साल जुलाई में सरकार ने एक महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले के तहत उन सभी जलविद्युत परियोजनाओं के नवीनीकरण का फैसला लिया था जिनकी उम्र 35 साल से अधिक हो गई थी।
इन परियोजनाओं का नवीनीकरण पीपीपी मॉडल के तहत किए जाने का फैसला लिया गया था। मंत्रिमंडल ने जो फैसला लिया था उसके तहत करीब 24 जलविद्युत परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया गया था जिन्हें 30 साल के लिए लीज पर दिया जाना था।
इन सभी परियोजनाओं की कुल क्षमता करीब 500 मेगावाट है। पर भारी विरोध को देखते हुए सरकार ने इन परियोजनाओं को पीपीपी मॉडल के तहत आधुनिकीकृत करने के अपने फैसले को टाल दिया। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इन परियोजनाओं के लिए पीपीपी मॉडल ही सबसे बेहतर होता क्योंकि राज्य बिजली के गंभीर संकट से गुजर रही है और उसे अधिक से अधिक बिजली आपूर्ति की आवश्यकता है।
पिछले साल राज्य सरकार ने पाला मनेरी और भैरो घाटी, इन दोनों ही जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य रुकवा दिया था। इन दोनों परियोजनाओं का काम रुकवाने की वजह पर्यावरणविद जी डी अग्रवाल का भारी विरोध था। उनकी मांग थी कि इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण से नदियों और वातावरण को नुकसान पहुंचेगा। इन परियोजनाओं का काम रुकवाने से सरकार को विद्युत उत्पादन क्षेत्र में बडा झटका लगा था।
जिन 6 परियोजनाओं के लिए केएफडब्लू ने कर्ज और अनुदान दिया है उनके लिए डीपीआर और तकनीकी व्यावहारिकता तैयार करने के लिए यूजेवीएनएल ने जर्मनी की कंपनी लाम्यार इंटरनेशनल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इनमें 240 मेगावाट की छिबरो, 120 मेगावाट की कोदरी, 51 मेगावाट की धालीपुर, 33.75 मेगावाट की धाकरानी, 30 मेगावाट की कुलहल और 90 मेगावाट की तिलोथ शामिल है।
आखिर छोड़ी पीपीपी की डगर
यूजेवीएनएल लेगी जर्मनी से 10 करोड़ यूरो का ऋण
कंपनी को मिल रहा है 1.95 फीसदी की दर से ऋण
6 जल विद्युत परियोजनाओं को होगा नवीनीकरण